अमेरिका ने भारत की तीन कंपनियों से प्रतिबंध हटा दिया है.अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की ओर से पिछले हफ्ते कहा गया था कि अमेरिका भारत की लीडिंग न्यूक्लियर एंटिटी और अमेरिकी कंपनियों के बीच न्यूक्लियर पार्टनरशिप को रोकने के लिए लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंधों को हटाने के लिए कदम उठा रहा है. उनके इस बयान के बाद गुरुवार को ये फैसला सामने आया है.
US ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने तीन भारतीय न्यूक्लियर इंस्टीट्यूट भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCR) और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को प्रतिबंधित लिस्ट से हटा दिया है.
BIS ने कहा कि अमेरिका और भारत पीसफुल न्यूक्लियर पार्टनरशिप और एसोसिएट रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. साथ ही कहा कि पिछले कई सालों में साइंस और तकनीकी सहयोग मजबूत हुआ है, जिससे दोनों देशों और दुनिया भर के उनके साझेदार देशों को फायदा हुआ है.
2008 की सिविल न्यूक्लियर डील को बढ़ावा
इस कदम से दोनों देशों के बीच संयुक्त अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा प्रयासों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. यह कदम 2008 के सिविल न्यूक्लियर डील में नए सिरे से तेजी लाने की कोशिश का संकेत भी है, जिसका मूल रूप से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कल्पना की थी.
अमेरिका NSA ने भारतीय दौरे में दिए संकेत
अपनी भारत यात्रा के दौरान IIT-दिल्ली में बोलते हुए सुलिवन ने कहा था, “औपचारिक कागजी कार्रवाई जल्द ही पूरी कर ली जाएगी, यह अतीत के कुछ विवादों को भुलाने का एक मौका होगा और उन संस्थाओं के लिए अवसर पैदा करेगा जो अमेरिका की प्रतिबंधित सूचियों में हैं, ताकि वे उन सूचियों से बाहर आ सकें और अमेरिका, हमारे निजी क्षेत्र, हमारे वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के साथ गहन सहयोग कर सकें ताकि असैन्य परमाणु सहयोग को एक साथ आगे बढ़ाया जा सके.”
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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