इजराइल और हमास के बीच गाजा में 15 महीने से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर सहमति बन गई है. यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों का आदान-प्रदान करने और संघर्ष को रोकने के उद्देश्य से किया गया है. इस समझौते के बारे में बुधवार को रॉयटर्स ने एक अधिकारी के हवाले से जानकारी दी, जिसके अनुसार, यह सौदा मिस्र और कतर द्वारा मध्यस्थता के तहत हुआ है और इसमें अमेरिका का भी समर्थन प्राप्त है. वहीं, ट्रंप ने भी ऐलान किया है कि इजराइली बंधक जल्द ही रिहा किए जाएंगे.
गाजा में यह युद्ध अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ था, जब हमास के सशस्त्र हमलावरों ने इजराइल की सुरक्षा दीवार को तोड़कर इजराइली समुदायों में घुसकर 1,200 से अधिक सैनिकों और नागरिकों की हत्या कर दी थी और 250 से अधिक इजराइल और विदेशी नागरिकों को बंधक बना लिया था. इसके बाद इजराइल ने गाजा पर आक्रमण किया था, जिससे अब तक 46,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. गाजा की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है, जहां लाखों लोग सर्दी में तंबू और अस्थायी शरण स्थलों में रहने को मजबूर हैं.
ट्रंप ने पहले ही दी थी चेतावनी
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति पद के नवनिर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को होने वाला है. ट्रंप ने इस समझौते को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की थी और बार-बार यह चेतावनी दी थी कि अगर बंधकों को नहीं छोड़ा गया तो परिणाम बहुत गंभीर होंगे.
इस दिन इजराइलियों को बनाया था बंधक
इस समझौते का इजराइल में भी राजनीतिक प्रभाव देखा जा रहा है, क्योंकि इस संघर्ष के कारण प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार के खिलाफ जनता में गुस्सा था. 7 अक्टूबर को हुई सुरक्षा चूक के कारण इस दिन को इजराइल के इतिहास का सबसे घातक दिन माना गया था. बंधकों की वापसी से नेतन्याहू की छवि पर पड़ने वाला दबाव कुछ कम हो सकता है.
यह समझौता केवल इजराइल और हमास के बीच नहीं बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में प्रभाव डाल सकता है. इस युद्ध ने ईरान समर्थित समूहों को भी सक्रिय कर दिया था, जो लेबनान, इराक और यमन से इजराइल पर हमले कर रहे थे. इस समझौते के बाद, इजराइल ने हमास और लेबनान के हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं को मार गिराया, जिससे उसे युद्ध में रणनीतिक बढ़त मिली है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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