ब्रिटेन में बढ़ती महंगाई से मध्यम वर्ग के लोगों का बुरा हाल है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग बुनियादी सुविधाओं पर खर्च करने के लिए भी सोच रहे हैं. रेज़ोल्यूशन फाउंडेशन की ओर से किए गए एक सर्वे से पता चला है कि UK में लोअर मिडिल इनकम वाले परिवार पश्चिमी यूरोप के लोगों के मुकाबले बहुत गरीब हैं, जिसका मुख्य कारण घरों की महंगी कीमतें हैं.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ब्रिटेन में महंगाई OECD देशों के मुकाबले 8 फीसद ज्यादा है और ब्रिटेन में घरों की कीमत इन देशों से 44 फीसद ज्यादा हैं. जिसकी वजह से मिडिल क्लास परिवारों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
Why is it more expensive to be poor in Britain?
Low-to-middle income households in Britain fare worse than their German. French and Dutch counterparts. pic.twitter.com/tqHOszwGbS
— Resolution Foundation (@resfoundation) January 13, 2025
खाना छोड़ कर काम कर रहे कर्मचारी
TUC (Trades Union Congress) द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया कि छह में से एक कर्मचारी नियमित रूप से अपना गुजारा चलाने के लिए एक वक्त का खाना छोड़ रहा है. 2,544 लोगों पर किए गए सर्वे में पता चला कि कर्मचारी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले तीन महीनों में प्रतिदिन, कुछ दिन या हफ्ते में एक वक्त का खाना नहीं खा रहे हैं.
सर्वे में शामिल 20 फीसद से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे अपने महीने के बिलों का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं और 10 फीसद ने माना कि हर महीने वह कर्ज में डूब रहे हैं. लगभग एक चौथाई कर्मचारियों ने खाने पर होने वाले खर्च में भी कटौती की है और 31 फीसद ने कहा कि बिल कम करने के लिए वह घरों में हीटिंग चालू करने से परहेज करते हैं.
BREAKING | 1 in 4 full and part time workers are struggling or cannot afford their monthly costs.
And 1 in 6 have skipped a meal to make ends meet.
This is why the government’s Make Work Pay agenda is so important after 14 years of Tory stagnation.
The Employment Rights
— Trades Union Congress (@The_TUC) January 13, 2025
हालांकि रेज़ोल्यूशन फाउंडेशन के रिपोर्ट में बताया गया था कि ब्रिटेन में खाने की कीमतें OECD औसत से 12 फीसद कम हैं, लेकिन घरों की मंहगाई ने गरीब परिवारों के लिए इस फायदों को भी खत्म कर दिया है. जर्मनी और नीदरलैंड के परिवारों की तुलना में, ब्रिटेन के परिवारों की स्थिति बदतर है.
इससे पता चलता है कि ब्रिटेन के परिवार बढ़ती जीवन-यापन लागत की वजह से कितनी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनकी ज्यादातर कमाई घरों पर खर्च हो रही है, जिससे बचत या अन्य खर्चों के लिए पैसे बचा पाना मुश्किल है.
‘मेक वर्क पे’ पॉलिसी को लागू करने की जरूरत
TUC नेता पॉल नोवाक ने कहा कि ये नतीजे बतातें है कि ‘मेक वर्क पे’ पॉलिसी को लागू करने की जरूरत क्यों है. इस पॉलिसी का मकसद मजदूरों के अधिकारों में सुधार करना, शून्य-घंटे के अनुबंधों पर रोक लगाना और जीवन-यापन की लागत को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना है.
पॉल नोवाक ने जोर दिया की मजदूरों को एक बेहतर जिंदगी जीने का हक है और सरकार को उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए वेतन बढ़ाना चाहिए. TUC ने यह भी बताया कि मौजूदा सरकार के तहत वेतन वृद्धि 1920 के दशक के बाद से सबसे कम रही है, 2010 के बाद से वास्तविक वेतन में सिर्फ 0.3 फीसद हर साल बढ़ोतरी हुई है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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