राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण भारत झेल रहा था. इस दिन ही देश को सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय को मोहन भागवत ने इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार प्रदान किया. इस अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख ने ये बातें कहीं.
हिंदू पंचांग के मुताबिक अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 11 जनवरी को एक साल पूरा हो जाएगा. इससे पूर्व चंपत राय को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
भारत का स्व जागृत करने के लिए आरंभ हुआ राम मंदिर आंदोलन
इस अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि किसी का विरोध करने के लिए राम मंदिर आंदोलन शुरू नहीं हुआ था. राम मंदिर का आंदोलन भारत का स्व जागृत करने के लिए आरंभ हुआ था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा हो और दुनिया को रास्ता दिखा सके. मोहन भागवत ने कहा कि पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है. उस दौरान के बाद से देश में कोई कलह नहीं हुआ है.
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद चंपत राय ने कहा कि वह यह पुरस्कार राम मंदिर आंदोलन में शामिल सभी ज्ञात-अज्ञात लोगों को समर्पित कर रहे हैं. जिन लोगों ने अयोध्या में मंदिर बनाने में सहयोग किया था.
राम मंदिर राष्ट्रीय गौरव का प्रतीकः चंपत राय
चंपत राय ने राम मंदिर आंदोलन के अलग-अलग संघर्षों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में बना यह मंदिर राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और वह इस मंदिर के निर्माण के निमित्त मात्र हैं.
बता दें कि इंदौर की सामाजिक संस्था श्री अहिल्योत्सव समिति की ओर से प्रत्येक साल राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार प्रदान किया जाता है. लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन श्री अहिल्योत्सव समिति की अध्यक्ष हैं.
महाजन ने पुरस्कार समारोह में कहा कि देवी अहिल्याबाई का शहर इंदौर में भव्य स्मारक बनेगा, ताकि लोग उनके जीवन चरित्र से परिचित हो सकें. इससे पहले, राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार विजयाराजे सिंधिया, रघुनाथ अनंत माशेलकर, नानाजी देशमुख और सुधा मूर्ति जैसी हस्तियों को दिया जा चुका है.
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