बांग्लादेश की यूनुस सरकार अब भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाकर अपने घरेलू संकटों से ध्यान भटकाने की कोशिश में जुट गई है. भारत ने बांग्लादेश की इस नियत को भांपकर सोमवार को बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब कर बांग्लादेश के बेबुनियाद आरोपों को खारिज किया है.भारत ने बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त मोहम्मद नूरुल इस्लाम को तलब कर स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा उपायों, विशेष रूप से बाड़ लगाने के संबंध में, भारत ने दोनों देशों की सरकारों के बीच और सीमा सुरक्षा बल (BSF) व बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के बीच हुए सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन किया है.
भारत ने दोहराया कि वो सीमा को अपराध-मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसमें सीमा पार अपराध, तस्करी, अपराधियों की आवाजाही और मानव तस्करी जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता शामिल है. बाड़ लगाने, सीमा पर प्रकाश व्यवस्था, तकनीकी उपकरणों की स्थापना और पशु बाड़ लगाना, सीमा की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों का हिस्सा हैं. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसे उम्मीद है कि बांग्लादेश द्वारा सभी पूर्व समझौतों का पालन किया जाएगा.
इससे पहले रविवार को बांग्लादेश ने भारत के साथ सीमा समझौते को लेकर विवाद लड़ने की कोशिश की थी. पहले बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार का भारत विरोधी बयान आया और फिर बांग्लादेश ने भारत के हाई कमिश्नर प्रणय वर्मा को तलब किया. रविवार को बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने भारत पर झूठा आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय सीमा सुरक्षा बल यानी BSF बांग्लादेश की ज़मीन पर कंटीले तारों वाली बाड़ लगा रही है.
इस मामले में बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बुलाकर बांग्लादेश के विदेश सचिव ने आधिकारिक विरोध दर्ज कराया. पांच अगस्त के बाद से हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर दुनियाभर में दवाब झेल रही युनुस सरकार ने ध्यान भटकाने के लिए नई चाल चली है.
सीमा विवाद और बांग्लादेश सरकार का रुख
बांग्लादेश और भारत के बीच हुए तमाम समझौते के तहत ही BSF सीमा पर बाड़ लगाने का काम कर रही है. दोनों देशों के बीच लंबी 4156 किलोमीटर की सीमा में से 3271 किलोमीटर पर बाड़ लगाई जा चुकी है और करीब 885 किलोमीटर की सीमा पर तारों को लगाने का काम बाकी है. BSF की तरफ से किए जा रहे इन कामों को कई जगहों पर BGB यानी बार्डर गार्ड बांग्लादेश और वहां के नागरिकों ने रोकने की कोशिश की.
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार जहांगीर आलम ने इसे 2010 से 2023 के बीच हुए कथित असमान समझौतों का परिणाम बता कर जायज ठहराने में लगे हैं. जहांगीर आलम के मुताबिक इन समझौतों के तहत भारत को जीरो लाइन पर बाड़ लगाने की अनुमति दी गई, जो कि 150 गज के नियम का उल्लंघन है.
तीन बीघा गलियारा: विवाद का केंद्र
तीन बीघा गलियारा, जो पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में स्थित है, भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा बन गया है. 1974 के भूमि सीमा समझौते के तहत, भारत ने बांग्लादेश को इस गलियारे के माध्यम से दाहाग्राम-अंगरपोटा छिटमहल से जोड़ने की अनुमति दी थी.
2010 में भारत और बांग्लादेश के बीच एक नया समझौता हुआ, जिसके तहत इस गलियारे को 24 घंटे खुला रखने का निर्णय लिया गया लेकिन बांग्लादेश अब इस समझौते को असमान बता रहा है.
जाहंगीर आलम ने दावा किया कि भारत ने इस गलियारे के पास जीरो लाइन पर बाड़ लगाकर समझौते का उल्लंघन किया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल फरवरी में भारत और बांग्लादेश के बीच इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक होगी, जिसमें इन असमान समझौतों को रद्द करने की मांग उठाई जाएगी.
भारतीय हाई कमिश्नर का जवाब
रविवार को जब ढाका में मौजूद भारतीय हाई कमिश्नर प्रणय वर्मा ने बांग्लादेश के विदेश सचिव जशिम उद्दीन के साथ मुलाकात की तो उन्होंने साफ किया कि भारत का उद्देश्य सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करना है. उन्होंने कहा, सीमा पर बाड़ लगाने का उद्देश्य तस्करी, मानव तस्करी और अपराधों को रोकना है. भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी सहमति से यह काम किया जा रहा है.
सीमा पर बढ़ती घटनाएं
सीमा पर हालिया घटनाएं दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा रही हैं. रविवार को भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने चापाईनवाबगंज के आज़मतपुर सीमा पर तस्करी कर रहे एक बांग्लादेशी नागरिक पर गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया. बीजीबी ने दावा किया कि घटना बांग्लादेशी सीमा के अंदर हुई. जबकि बीएसएफ ने इसे तस्करी को रोकने का कदम बताया.
सीमा समझौतों का इतिहास
भारत और बांग्लादेश के बीच 1974 में भूमि सीमा समझौता हुआ था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को खत्म करना था. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकारों ने इस समझौते को लागू करते हुए 162 छिटमहलों का आदान-प्रदान किया, जिससे 50,000 से अधिक लोगों की नागरिकता का सवाल हल हुआ.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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