सीरिया के बदलते हालातों को लेकर सऊदी अरब के रियाद में 17 मध्य पूर्व और पश्चिमी देशों के मंत्रियों ने बैठक की है. इस बैठक के दौरान सीरिया के पुननिर्माण और सरकार की मदद करने के साथ-साथ अंतरिम सरकार पर सभी धर्मों और जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रशासन चलाने के लिए दबाव बनाने को लेकर चर्चा हुई है.
इस बैठक के बाद सऊदी के विदेश मंत्री ने सीरिया के ऊपर लगे प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया. नए शासन के बाद से ही सीरिया की ओर से प्रतिबंध हटाने और दूसरे देशों में सीरियाई रिफ्यूजी की सुरक्षित वापसी की मांग उठ रही है.
इस बैठक की एक खास बात ये रही कि इसमें रूस और ईरान को नहीं बुलाया गया है. जबकि बशर अल-असद के शासन के समय ये दोनों ही सीरिया के मजबूत अलाय थे. इस बैठक में सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शिबानी भी मौजूद रहे. पिछले हफ्ते अमेरिका ने आपातकालीन मानवीय सहायता और कुछ ऊर्जा आपूर्ति के प्रतिबंधों में ढील दी थी, जिसके बाद कतर ने रविवार को सीरिया को गैस का एक समुद्री टैंकर भेजा.
Now in Riyadh: The Expanded Ministerial Meeting on #Syria:
Participants: 17 Arab and international nations, including the , , ,,,, and .
■ Expected major discussion points:
– Humanitarian aid.
– Lifting sanctions.
– General roadmap.
– Future outlook. pic.twitter.com/Z9fPyQLhAo
— Salman Al-Ansari | سلمان الأنصاري (@Salansar1) January 12, 2025
सऊदी निभा रहा बड़ा रोल
सऊदी और ईरान के बीच मध्य पूर्व में वर्चस्व को लेकर लड़ाई है. इस सम्मेलन की मेजबानी सऊदी अरब की ओर से किए जाना भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे पता चलता है कि रियाद सीरिया के पुनर्निर्माण में तुर्की और कतर के साथ अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है. बता दें, असद शासन के समय सऊदी अरब ने असद विरोधी गुटों को समर्थन दिया है.
पश्चिमी और सुन्नी देश आए साथ
इस सम्मेलन में EU और पश्चिमी देशों के मंत्री भी शामिल हुए, जिससे पता चलता है कि ईरान और रूस को दूर रख ये देश सीरिया में अपने हित साधना चाहते हैं. सम्मेलन में अमेरिका के विदेश उपमंत्री जॉन बास, जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक और ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने भी हिस्सा लिया. वहीं मुस्लिम देशों के बात करें तो, सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, इराक, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की आदि देशों के विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया.
सीरिया को मदद देना आसान नहीं
पश्चिमी विदेश मंत्रियों के बैठक में शामिल होने से पहले ही कई खाड़ी देशों ने सीरियाई सरकार को मदद देनी शुरू कर दी है. HTS के आतंकवादी संगठन के रूप में लगातार नामित किए जाने से विदेशी बैंकों में मौजूद सीरियाई फंड नहीं मिल पा रहा है. अगर आतंकवादी संगठन की लिस्ट से HTS को हटा दिया जाता है और सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटाए जाते हैं, तो सीरिया की तरक्की की राह आसान हो जाएगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने HTS को आतंकवादी संगठन की लिस्ट से हटाना का फैसला ट्रंप पर छोड़ दिया है. जबकि शारा ने कहा है कि वह संगठन को भंग कर देंगे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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