मध्य प्रदेश के जबलपुर में बन रहा राज्य का सबसे बड़ा फ्लाईओवर भ्रष्टाचार के चलते विवादों में घिर गया है. मदन महल चौक से दमोहनाका तक यह फ्लाईओवर बनाया जा रहा है. लगभग 1,000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा है. लेकिन निर्माण कार्य में हुई लापरवाही और घटिया गुणवत्ता ने इसे विवादों में खींच लिया है. वहीं लापरवाही के आरोप के चलते चीफ इंजीनियर को हटा दिया गया है.
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लापरवाही को लेकर एक ट्वीट किया था जिसके बाद ये चीफ इंजीनियर को हटाने की कार्रवाई की गई. साथ ही, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता केपीएस राणा ने चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है, जो 15 दिन के अंदर पूरे मामले की जांच रिपोर्ट सौपेगी.
दरारें पड़ने से PWD में मचा हड़कंप
हाल ही में फ्लाईओवर के एक हिस्से का उद्घाटन किया गया था, लेकिन उसके कुछ ही समय बाद सड़क में दरारें पड़ गई थीं. दरारें पड़ने का खुलासा होते ही लोक निर्माण विभाग (PWD) में हड़कंप मच गया था. विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मध्य प्रदेश में “भ्रष्टाचार की नई इबारतें” लिखी जा रही हैं. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब भ्रष्टाचार या “गोलमाल” का नतीजा है, और प्रदेश के विकास के लिए बेहद चिंताजनक है.
निर्माण के दौरान हुई लापरवाही
घटिया निर्माण की खबर फैलते ही लोक निर्माण विभाग ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई. विभाग ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुख्य अभियंता एससी वर्मा को जबलपुर से हटाकर रीवा अटैच कर दिया. हालांकि, विपक्ष और स्थानीय जनता का कहना है कि सिर्फ ट्रांसफर करना पर्याप्त नहीं है. दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
लोगों ने की कार्रवाई की मांग
नेता प्रतिपक्ष ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हुए इसे सरकार की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि 800 करोड़ रुपए की लागत से बने इस फ्लाईओवर में निर्माण कार्य के दौरान गुणवत्ता की अनदेखी की गई, जो भ्रष्टाचार का संकेत है. उनके अनुसार, सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से इस परियोजना को प्रभावित किया गया.
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