मध्य प्रदेश में भोपाल गैस त्रासदी तो आपको याद ही होगा. इस त्रासदी की दंस आज भी सैकड़ों परिवार भुगत रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, इस गैस त्रासदी के बाद पैदा हुआ यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा लोगों और सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. सोमवार को इस कचरे के निस्तारण केस की सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुई. इसमें हाईकोर्ट ने सरकार को कचरे का सावधानी और सुरक्षित पूर्वक निस्तारण करने के निर्देश दिए.इसके लिए खुद समय सीमा भी तय करने को कहा.
हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एवं विवेक कुमार जैन की खंडपीठ में हुई. सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए हाईकोर्ट से कचरे को सुरक्षित तरीके से अनलोड करने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय देने की मांग की. बताया कि कंटेनर्स में इस कचरे को ज्यादा समय तक रखना खतरे से खाली नहीं है. इसके अलावा जल्दबाजी में इसे अनलोड करना भी खतरनाक हो सकता है. राज्य सरकार ने इस संबंध में एक हलफनामा भी दाखिल किया है.
11 मिलियन मीट्रिक टन है कचरा
इसी के साथ सरकार ने सफाई दी कि कुछ पब्लिसिटी स्टंट और फेक मीडिया रिपोर्ट्स की वजह से पीथमपुर में हंगामा हुआ. इससे कचरे के निस्तारण में बाधा आई. सरकार ने हाईकोर्ट से फेक मीडिया रिपोर्ट्स में रोक लगाने की भी मांग की. दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में गठित हाई लेवल कमिटी की रिपोर्ट पेश करने की मांग की. कहा कि इस रिपोर्ट से ही साफ हो सकेगा कि कचरे के निस्तारण में इतने साल क्यों लग गए. याचिका में कहा कि इस त्रासदी में कुल 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा पैदा हुआ था.
अब तक महज 337 टन कचरे का निस्तारण
इसमें से अभी तक महज 337 टन कचरे को ही पीथमपुर भेजा जा सका है. याचिका में इसे सरकार की लापरवाही बताया गया. हालांकि हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को अपने हिसाब से समय तय करने की अनुमति दे दी. कहा कि कचरे के निस्तारण में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि कचरे को अनलोड करने के लिए पूर्व में जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी. कोर्ट ने अगली तारीख पर संबंधित पक्षों को प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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