हल्दी को भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा माना जाता है, और जब इसे जैविक पद्धति से उगाया जाए, तो इसकी मांग और मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि होती है. जबलपुर के ग्राम हिनौता, कुंडम विकासखंड के किसान अंबिका पटेल ने इस दिशा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, उन्होंने चार एकड़ भूमि में “सेलम” प्रजाति की ऑर्गेनिक हल्दी की खेती की. जिसे अब रूस के मॉस्को में स्थित एक मसाला कंपनी ने ऑर्डर दिया है जिसे जनवरी माह में भेजा जाएगा.
किसान अंबिका पटेल ने अपनी हल्दी के सैंपल मॉस्को स्थित एक मसाला कंपनी को भेजे थे. गुणवत्ता परीक्षण के बाद कंपनी ने 15 क्विंटल हल्दी का ऑर्डर दिया. जनवरी में पहली खेप एक क्विंटल 20 किलो भेजी जानी है. बाजार में सामान्य हल्दी की कीमत 150-200 रुपये प्रति किलो है, जबकि अंबिका द्वारा उगाई गई ऑर्गेनिक हल्दी की थोक कीमत 400-600 रुपये प्रति किलो रखी गई है. मॉस्को में इसकी कीमत 1200 रुपये प्रति किलो तक जाने की उम्मीद है. 23 जनवरी से फरवरी तक रूस में आयोजित एक प्रदर्शनी में जबलपुर की ऑर्गेनिक हल्दी को प्रदर्शित किया जाएगा. इससे विदेशी बाजार में इसकी पहुंच और लोकप्रियता बढ़ेगी.
लैब टेस्ट में पाई गई उच्च गुणवत्ता
कृषि अधिकारी ने कहा कि किसान अंबिका प्रसाद पटेल द्वारा उगाई गई हल्दी को “मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण” द्वारा प्रमाणित किया गया है. लैब टेस्ट में हल्दी में 5-7% करिक्युमिन और 4-5% ऑयल की मात्रा पाई गई, जो इसे उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद बनाती है. अंबिका पटेल 2007 से जैविक खेती कर रहे हैं और उनके खेत में एक दर्जन से अधिक फसलें उगाई जाती हैं. अब वे शहडोल के किसानों के साथ मिलकर हल्दी की खेती का रकबा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. करीब 200 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती शुरू करने की चर्चा चल रही है.
ऑर्गेनिक हल्दी की बढ़ी मांग
किसान अंबिका का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऑर्गेनिक हल्दी की मांग तेजी से बढ़ रही है. इसे देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए स्थानीय किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उप संचालक कृषि एसके निगम के मुताबिक, ऑर्गेनिक पद्धति से उगाई गई हल्दी में करिक्युमिन और ऑयल की उच्च मात्रा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है. विशेष रूप से सर्दियों में बच्चों और बड़ों के लिए यह अत्यंत उपयोगी है. अंबिका पटेल की मेहनत और आधुनिक जैविक खेती के प्रति उनकी निष्ठा ने हल्दी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक नई पहचान दिलाई है. उनकी सफलता न केवल भारतीय किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जैविक उत्पादों का भविष्य उज्ज्वल है.
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