इंदौर में हाल ही में व्यापारियों द्वारा UPI पेमेंट न लेने का मामला सामने आया था, जिससे शहर में हलचल मच गई थी. रिटेल कपड़ा व्यापारी और सोना-चांदी के व्यापारियों ने एक हफ्ते से ज्यादा समय तक UPI पेमेंट लेना बंद कर दिया था. इसका कारण साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामले थे, जिनमें पुलिस और क्राइम ब्रांच ने उनकी दुकानों से जुड़े खातों को सीज कर दिया था.
इंदौर के व्यापारियों ने बताया कि जब वे ग्राहकों से UPI के माध्यम से पेमेंट लेते हैं तो अगर उस भुगतान से जुड़े ग्राहक का खाता साइबर क्राइम से जुड़ा पाया जाता है तो बैंक और पुलिस उनके खातों को भी सीज कर देती है. इससे व्यापारियों का कारोबार प्रभावित होता है और उन्हें कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इसी कारण करीब 600 व्यापारियों ने छह दिनों तक UPI पेमेंट लेने से इनकार कर दिया था और अपनी दुकानों के बाहर पोस्टर भी लगा दिए थे, जिसमें लिखा था कि वे अब UPI से पेमेंट नहीं लेंगे. मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रशासन और क्राइम ब्रांच ने हस्तक्षेप किया.
क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त डीसीपी राजेश दंडोतिया ने व्यापारियों से मुलाकात की और उन्हें समझाया कि वे फिर से UPI पेमेंट लेना शुरू करें. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जिन व्यापारियों के खातों को सीज किया गया था, उनका समाधान निकाला जाएगा और अन्य राज्यों की पुलिस से समन्वय कर उन खातों को फिर से सक्रिय किया जाएगा.
राजेश दंडोतिया ने यह भी कहा कि व्यापारियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करने दिया जाएगा और साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट से संबंधित मामलों में पूरी सहायता दी जाएगी. अधिकारियों की समझाइश के बाद व्यापारियों ने सहमति जताई और उन्होंने फिर से UPI पेमेंट लेना शुरू किया.
व्यापारियों की चिंताएं
इंदौर में बढ़ते साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के मामलों को लेकर व्यापारियों की चिंताएं बढ़ गई थीं. उनका कहना था कि वे भारत सरकार के ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. व्यापारियों ने कहा कि वे चोर नहीं हैं. वे व्यापार करते हैं, टैक्स देते हैं और कई परिवारों का जीवन चलाते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि बैंक द्वारा खातों को सीज करना नीतिगत नहीं है, क्योंकि इससे व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ता है. उनका मानना था कि जो लोग साइबर क्राइम में शामिल हैं, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए, न कि व्यापारियों को चोर मान लिया जाए.
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