अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और उसमें भ्रष्टाचार को लेकर कई तरह के दावे किए हैं. पेंटागन का कहना है कि चीनी सेना में भ्रष्टाचार के मामलों ने उसके रक्षा से जुड़े लक्ष्य को काफी हद तक प्रभावित किया है. खासकर, चीन के सैन्य आधुनिकीकरण का काम पिछड़ा है. इसे चीन मिशन 2027 भी कहता है. पेंटागन की ये रिपोर्ट चीन के आर्मी की बजट, नेवी, वायु सेना, परमाणु हथियार, दूसरे देशों में चीन के प्रसार पर भी बहुत कुछ कहती है. रिपोर्ट की बड़ी बातें एक नजर –
पहला – नेवी में ताकत – चीन की नेवी दुनिया की सबसे बड़ी जल सेना है. चीन ने इस दिशा में कुछ बेहतरी पिछले कुछ वर्षों में हासिल की है. चीन के पास 370 जहाज और युद्धपोत हैं. 2022 में आई पेंटागन की रिपोर्ट में ये संख्या करीब 340 थी. इस तरह यह साफ है कि पिछले दो बरसों में इसमें तीस का इजाफा हुआ है. चीन की नेवी ने जापान के ओकिनावा, ताइवान और फिलीपींस के अलावा भी दूसरे द्वीपों को लेकर अपने मिशन को तेज किया है.
दूसरा – परमाणु हथियार – पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पास काम कर रहे परमाणु हथियारों का भंडार पिछले साल की तुलना में 500 से बढ़कर 600 से अधिक हो गया है. पेंटागन ने कहा है कि 2030 तक उसके पास 1,000 से अधिक परमाणु हथियार हथियार होंगे. बीजिंग अपनी परमाणु ताकतों का तेजी से आधुनिकीकरण और विस्तार पर जोर दे रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वह अमेरिका से संभावित परमाणु संघर्ष की स्थिति में अमेरिकी शहरों, उनके सैन्य अड्डों को निशाना बना सके. ये सबकुछ पेंटागन की रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है.
तीसरा – वायु सेना – रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी की वायु सेना तेजी से टेक्नोलॉजी के मामले में अमेरिकी मानकों के करीब पहुंच रही है. पेंटागन के रिपोर्ट के मुताबिक वह अपने देश में लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने के साथ उनके स्वदेशीकरण पर भी जोर दे रही है. स्वदेशीकरण का अर्थ ये है कि चीन पूरी तरह से इस पर जोर लगा रहा है कि वह अपने लड़ाकू विमान को देश ही में बना सके, उसकी बाहरी निर्भरता न के बराबर हो. लड़ाकू विमानों के साथ चीन मानव रहित हवाई सिस्टम बनाने पर भी तेजी से काम कर रहा है.
चौथा – बैलिस्टिक मिसाइल – पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें भी विकसित कर रहा है. जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह चीन के परमाणु मिसाइल बलों में काफी सुधार करेगी और परमाणु हथियार उत्पादन में बढ़ोतरी करेगी.
रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि बीजिंग अंतरमहाद्वीपीय-रेंज मिसाइल प्रणालियों के खोज पर भी काम कर रहा है, जो अमेरिका के लिए खतरा हो सकती है. साथ ही, चीन दुनिया के दूसरे देशों में भी अपनी सैन्य क्षमता तैनात करने की स्थिति में आता जा रहा है. चीन ने म्यांमार, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर केन्या और नाइजीरिया जैसे देशों में सैन्य रसद स्थापित करने पर आगे बढ़ रहा है.
पांचवा – रक्षा बजट –पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक जितना अपनी बजट में डिफेंट यानी रक्षा के मद में खर्च की बात करता है, उससे कम से कम 40 से 90 फीसदी ज्यादा खर्च करता है. रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में चीन ने करीब 330 बिलियन डॉलर से 450 बिलियन डॉलर अधिक खर्च किया. अगर चीन का रक्षा बजट समय के साथ बढ़ता जाता है तो वह आने वाले दिनों में ट्रेनिंग और दूसरे ऑपरेशन्स के मद में पैसे खर्च करेगा.
लेकिन आर्थिक अनुमान कहते हैं कि चीन की आर्थिक तरक्की अगले दस बरसों में धीमी होती जाएगी. अनुमान है कि जो तरक्की पिछले साल 5.2 फीसदी थी, वह 2034 तक 4 फीसदी के आसपास रहेगी. इस कारण आने वाले दिनों में चीन रक्षा बजट में अपने खर्च में कमी ला सकता है. बावजूद इसके, रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका के बाद डिफेंस के मद में खर्च करने वाला दूसरा बड़ा देश चीन ही होगा.
चीनी रक्षा बजट और भ्रष्टाचार को लेकर उसके सैन्य आधुनिकीकरण की रफ्तार धीमी होने के अमेरिका के दावे पर चीन की भी प्रतिक्रिया आई है. चीन ने इस रिपोर्ट को मनगढंत और गैर-जिम्मेदाराना बताया है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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