[ad_1]
ईरान और अफगानिस्तान के बीच हेलमंद नदी के पानी पर अधिकार को लेकर विवाद तेज हो गया है। शनिवार को तालिबान और ईरान के सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी के बाद तनाव काफी बढ़ गया। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने देश के उप पुलिस प्रमुख जनरल कासिम रेजाई के हवाले से यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तालिबान ने ईरान के सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत और अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत की सीमा पर शनिवार सुबह गोलीबारी शुरू कर दी। समाचार एजेंसी के मुताबिक, गोलाबारी में कई लोग हताहत हुए हैं और संपत्ति को गंभीर नुकसान भी पहुंचा है।
दरअसल, हेलमंद नदी का पानी 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैला हुआ है। पानी का बहाव अफगानिस्तान से ईरान के शुष्क पूर्वी क्षेत्रों की ओर है। तेहरान के लिए यह चिंता का विषय इसलिए बन गया है क्योंकि काबुल ने बहाव को रोकने का प्रयास किया है। काबुल इसके पानी का इस्तेमाल बिजली पैदा करने और कृषि भूमि की सिंचाई के लिए करना चाहता है। दूसरी ओर, ईरान बीते कुछ सालों से पानी की कमी की बढ़ती समस्या का सामना कर रहा है। ईरान मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, 2021 देश का करीब 97 प्रतिशत हिस्सा सूखे का सामना कर रहा था। इसे लेकर किसानों का जोरदार प्रदर्शन भी हुआ।
गोलीबारी को लेकर एक-दूसरे पर आरोप
पानी विवाद को लेकर अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने ईरान पर गोलीबारी की शुरुआत करने का आरोप लगाया। ताकोर ने कहा कि गोलीबारी में 2 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से एक व्यक्ति अफगानिस्तान का और दूसरा ईरान का था। ताकोर ने बताया कि गोलीबारी में कुछ अन्य घायल हो गए। उन्होंने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है। वहीं, ईरान सरकार ने कहा कि गोलीबारी में ईरान का कोई सुरक्षाकर्मी हताहत नहीं हुआ है। हालांकि, अखबार तेहरान टाइम्स ने कहा है कि गोलीबारी में 3 ईरानी सीमा रक्षकों की मौत हो गई।
तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं देता ईरान
इस महीने की शुरुआत में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तालिबान को हेलमंद नदी पर ईरान के जल क्षेत्र के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करने की चेतावनी दी थी। रईसी की टिप्पणी ईरान में पानी के बारे में लंबे समय से जारी चिंताओं पर सबसे तीखी टिप्पणी थी। इस बीच, अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने हेलमंद नदी के पानी के अधिकार पर चर्चा करने के लिए अफगानिस्तान में ईरानी दूत से मुलाकात की। बता दें कि ईरान ने आधिकारिक तौर पर तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है। हालांकि, तेहरन ने अफगानिस्तान के नए शासकों के साथ संबंध बनाए रखा है। दशकों से ईरान ने अपने युद्धग्रस्त देश में सशस्त्र संघर्ष से भाग रहे लाखों अफागानों की मेजबानी की है। 2021 के बाद से पश्चिम की ओर जाने वाले अफगानों की संख्या में वृद्धि हुई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
[ad_2]
Source link