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यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। प्रतिबंधों के चलते रूस की हालत खराब है। अब खबर है कि रूस ऐसे ही प्रतिबंधों को रोकने के लिए दूसरे देशों पर दबाव डाल रहा है। क्रेमलिन पर्दे के पीछे भारत सहित अन्य देशों की सरकारों पर दबाव बना रहा है। इसके अलावा, रक्षा और ऊर्जा सौदों को खत्म करने की धमकी दे रहा है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन प्रशासन इन देशों से अपने खिलाफ लगने वाले किसी भी प्रतिबंध को रोकने में मदद मांग रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो रूस चाहता है कि भारत जैसे देश रूस के खिलाफ लगने वाले प्रतिबंधों का खुलकर विरोध करें। मनी-लॉन्ड्रिंग के खिलाफ वैश्विक निगरानी रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक जून में होने वाली है। इस बैठक से पहले रूस वाणिज्यिक भागीदारों को टारगेट कर रहा है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एक अंतर-सरकारी संगठन है जो मनी-लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने के लिए मानक तय करता है। इसने रूस को फरवरी में सदस्यता से निलंबित कर दिया था। अब यूक्रेन जोर दे रहा है कि FATF रूस को अपनी “ब्लैक लिस्ट” या “ग्रे लिस्ट” में जोड़कर और प्रतिबंध लगाए।
एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से पुतिन की सरकार उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगी। ब्लैक लिस्ट में अभी केवल यही देश हैं। अगर ऐसा हुआ तो रूस की अर्थव्यवस्था गर्त में चली जाएगी। इसके अलावा, अगर रूस FATF की ब्लैक लिस्ट में जाता है तो उसके साथ व्यापार करने वाले देशों को भी सतर्क होना पड़ेगा। सदस्य देशों के साथ-साथ बैंक, निवेश घराने और पेमेंट-प्रोसेसिंग कंपनियों की चिंताएं बढ़ जाएंगी और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में उन्हें FATF को जवाब देना होगा।
पहचान न जाहिर करने के अनुरोध पर अधिकारियों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में एक रूसी सरकारी एजेंसी ने भारत में समकक्षों को चेतावनी दी थी। इसने कहा था कि अगर एफएटीएफ रूस के खिलाफ नए उपाय अपनाता है तो रक्षा, ऊर्जा और परिवहन में सहयोग के लिए अप्रत्याशित और नकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, रूसी एजेंसी ने भारत से जोर देकर कहा कि वह उच्च जोखिम वाले देशों की “ब्लैक लिस्ट” में रूस को जोड़ने के लिए यूक्रेन के किसी भी कदम का “मौखिक” रूप से विरोध करे। रूस ने मई में भारत से यह आग्रह किया था। इसने यहां तक कहा कि अगर रूस को “ग्रे लिस्ट” में भी डाला जाता है तो परेशानियां होंगी। हालांकि अभी तक यह नहीं पता चला है कि भारत ने रूसी चेतावनियों का जवाब दिया या नहीं। रूसी और भारतीय सरकारों ने टिप्पणी करने के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।
भारत के साथ जिन प्रोजेक्ट्स को लेकर रूस ने चेतावनी दी है वह इस प्रकार हैं:
1. तेल कंपनी रोसनेफ्ट और नायरा एनर्जी लिमिटेड के बीच सहयोग
2. भारत को रूसी हथियारों और सैन्य उपकरणों के निर्यात के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग
3. फरवरी में एयरो इंडिया 2023 प्रदर्शनी में नई संयुक्त विमानन परियोजनाओं के लिए रूसी प्रस्ताव की पेशकश
4. भारत के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में टेक्नोलॉजी और ऊर्जा सहयोग
5. उत्तर-दक्षिण व्यापारिक गलियारे के विकास से जुड़ी कार्गो परिवहन सेवाओं पर रूसी रेलवे के आरजेडडी लॉजिस्टिक्स और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के बीच एक समझौता।
भारत सहित तथाकथित ग्लोबल साउथ के कई देश यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता पर ज्यादातर तटस्थ रहे हैं। पिछले दिनों जापान में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की युद्ध के बाद पहली बार व्यक्तिगत रूप से मिले थे। हालांकि भारत की स्थिति में किसी भी तत्काल बदलाव का कोई संकेत नहीं है।
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