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क्या तुर्की में भूकंप आने के पीछे अमेरिका का कोई रोल है? सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब कांस्पिरेसी थियरी चल रही हैं। इन थियरीज के मुताबिक तुर्की और सीरिया में यह जबर्दस्त भूकंप लाने के पीछे अमेरिका का हाथ है। बता दें कि 7.8 मैग्निट्यूड के भूकंप के चलते बीसियों हजार लोगों की जान जा चुकी है। एक तरफ दुनिया में लोग तुर्की की आपदा पर दुख जता रहे हैं, वहीं कांस्पिरेशन थियरीज में इसके पीछे हार्प को वजह बताया जा रहा है।
यह किया जा रहा है दावा
सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों में कहा जा रहा है कि नाटो में स्वीडन को एंट्री नहीं मिलने से तुर्की ने नाराजगी जताई थी। तुर्की में भूकंप पैदा करके अमेरिका ने इसी बात की सजा उसे दी है। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने इसके लिए हार्प की मदद ली है। ट्विटर पर तमाम वीडियो अपलोड करके लोग अपनी बात साबित करने में जुटे हैं। ऐसा ही एक वीडियो अपलोड किया गया है। इस वीडियो में भूकंप के वक्त बिजलियां चमकती दिखाई दे रही हैं। वीडियो अपलोड करने वाले का दावा है कि जब भूकंप आता है तो बिजली नहीं चमकती है। इसी से साबित हो रहा है कि इसके लिए किसी बाहरी शक्ति का इस्तेमाल किया गया है।
आखिर क्या बला है हार्प
हार्प अलास्का में स्थापित एक अमेरिकी रिसर्च सेंटर है। अमेरिका का यह प्रोजेक्ट साल 1990 से चल रहा है। यह धरती की सरफेस से 400 मील ऊपर तक अंतरिक्ष के ठीक किनारे पर मौजूद आयनमंडल को स्टडी करता है। यही आयनमंडल धरती पर मौसम बदलने के लिए जिम्मेदार है। इसके चलते ही अमेरिका इस आयन मंडल की स्टडी कर रहा है। यह स्टडी एक बेहद शक्तिशाली और बेहद हाई फ्रीक्वेंसी वाले ट्रांसमीटर से होती है। बताया जाता है कि इसके जरिए मौसम में बदलाव किया जा सकता है, हालांकि अभी तक यह बात साबित नहीं हुई है। वहीं, इससे आर्टिफिशियल भूकंप लाने की बात भी साबित नहीं हुई है।
पहले भी हार्प पर शक
इससे पहले भी कई बार हार्प पर शक किया गया है। साल 2010 में पाकिस्तान में बाढ़ आई थी। उस वक्त ईरान के प्रेसीडेंट रहे महमूद अहमदीनेजाद ने इसके लिए हार्प को जिम्मेदार बताया था। इसके अलावा इसी साल हैती में आए भूकंप के पीछे भी इसी को वजह बताया गया था। इसके अलावा चिली में भूकंप, जापान के फुकुसिमा परमाणु केंद्र में आए भूकंप और सुनामी के पीछे भी हार्प को ही वजह बताया गया था। हालांकि, अभी तक इन दावों की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।
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