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तुर्की में भूकंप ने जबर्दस्त तबाही मचाई। बड़ी संख्या में बिल्डिंग्स जमींदोज हो गईं। 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए और देखते ही देखते पूरा देश मलबे के बोझ तले दब गया। अब इस तबाही के पीछे की वजहें भी सामने आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इंसानी लापरवाहियों ने प्रकृति के इस कहर को कई गुना ज्यादा घातक बना दिया। इसमें बताया गया है कि देश में भवन निर्माण संबंधी नीतियां बेहद कमजोर रहीं। सिर्फ इतना ही नहीं, आधुनिक निर्माण नियमों को लागू करने में कड़ाई भी नहीं की गई और यही इतने बड़े पैमाने पर मौत का कारण बनी।
संवेदनशील जगहों परआया रियल एस्टेट में उछाल
विशेषज्ञों ने बताया कि रियल एस्टेट में उछाल उन इलाकों में आया था जो भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील थे। लेकिन यहां आधुनिक निर्माण कानूनों की पूरी तरह अनदेखी की गई थी। भूविज्ञान और इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ लंबे समय से चेतावनी दे रहे थे। वहीं, विनाशकारी भूकंपों के बाद नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन में ढिलाई की नए सिरे से जांच की जा रही है। इस भूकंप ने हजारों इमारतों को ध्वस्त कर दिया और तुर्की और सीरिया में 20,000 से अधिक लोग मारे गए। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में आपातकालीन योजना के प्रोफेसर डेविड एलेक्जेंडर ने कहा कि यह आपदा घटिया निर्माण के कारण हुई है, भूकंप से नहीं।
भूकंप ने खोल दी पोल
विशेषज्ञों ने भूकंप को इतना घातक बनाने के बारे में एक कठोर वास्तविकता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि तुर्की के पास घर बनाने के लिए नियम कायदे कठोर हैं। यह भूकंप-इंजीनियरिंग मानकों को पूरा करते हैं, लेकिन ये बहुत कम ही लागू होते हैं। आपदा के बाद, एर्दोआन के न्याय मंत्री ने कहा कि वे नष्ट इमारतों की जांच करेंगे। बेकिर बोजदाग ने कहा कि जो लोग लापरवाही बरत रहे हैं, जिन्होंने गलती की और भूकंप के बाद विनाश के लिए जिम्मेदार हैं, उनसे जवाब मांगा जाएगा। पर्यावरण और शहरीकरण मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमों को किस तरह से तोड़ा गया। इसके मुताबिक घरों का निर्माण बिना परमिट के किया गया। बिना अनुमति के अतिरिक्त मंजिलें जोड़ने वाली इमारतें बनीं।
घटिया सामान का इस्तेमाल
तुर्की के चैंबर ऑफ आर्किटेक्ट्स के अध्यक्ष आईप मुहकू ने कहा कि यह सामान्य ज्ञान है कि इस सप्ताह के दो बड़े भूकंपों से प्रभावित क्षेत्रों में कई इमारतों को घटिया सामग्रियों से बनाया गया था। सरकारी मानकों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें न केवल कई पुरानी इमारतें शामिल हैं, बल्कि हाल के वर्षों में बनाए गए अपार्टमेंट भी शामिल हैं। मुहकू ने कहा कि भूकंप की वास्तविकता के बावजूद इस क्षेत्र में इमारत का ढांचा कमजोर था। विशेषज्ञों ने कहा कि समस्या को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज कर दिया गया, क्योंकि इसका समाधान करना महंगा और अलोकप्रिय होता तथा देश के आर्थिक विकास के एक प्रमुख इंजन को रोक देता।
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