वर्क फ्रॉम होम के दौरान वेबकैम ऑन नहीं रखने पर कर्मचारी को फायर करना एक अमेरिकी कंपनी को भारी पड़ गया है। अब नीदरलैंड की कोर्ट ने अमेरिकी कंपनी पर 60 लाख का जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को वेबकैम ऑन रखने के लिए मजबूर करना मानवाधिकारों का उल्लंघन है इसलिए कंपनी पर 60 लाख रुपए का फाइन लगाया जाता है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने वेबकैम ऑन नहीं करके वो अपनी गोपनीय अधिकारों का बचाव कर रहा था।
दरअसल, फ्लोरिडा की एक टेलीमार्केटिंग कंपनी चेतू ने अपने एक कर्मचारी को घर से काम करते हुए दिन में करीब नौ घंटे कैमरा ऑन रखने को कहा था। लेकिन, कर्मचारी सहज नहीं था क्योंकि कंपनी एक प्रोग्राम का उपयोग कर रही थी जिसके लिए उपयोगकर्ता को लैपटॉप की स्क्रीन के साथ-साथ अपने लाइव वीडियो को साझा करने की जरूरत थी।
कर्मचारी को डर था कि उस पर नजर रखा जा रहा है
कर्मचारी ने आगे बताया कि जब उसने कैमरा ऑन करने से मना किया तो कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया। कर्मचारी ने अपने बचाव में कथित तौर पर दावा किया है कि उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कंपनी उस पर हर समय एक वेबकैम के जरिए नजर रखकर और उसे अपने लैपटॉप की स्क्रीन साझा करने के लिए कहकर उसे ट्रैक कर रही है और उसकी गोपनीयता पर हमला कर रही थी। इसलिए कर्मचारी ने ऐसा करने से इनकार दिया।
फायर किए जाने के बाद कोर्ट पहुंच गया था कर्मचारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने निर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर कर्मचारी को बाहर निकाल दिया था। इसके बाद कर्मचारी कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए और कर्मचारी का पक्ष जानने के बाद कंपनी पर 60 लाख का भारी भरकम जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपने वेबकैम को चालू रखने के लिए दूरस्थ कर्मचारियों की आवश्यक मानवाधिकारों की उल्लंघन है।
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