मोबाइल फोन इसका नाम सुनते ही हर किसी को एक राहत महसूस होती है. इसकी मदद से आज के समय में कई काम बहुत आसानी से हो जाते हैं. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी आज के समय में मोबाइल फोन पर ही टिकी हुई है. इसके जरिए ही हम लेन-देन, खरीदारी से लेकर अधिकतर काम घर बैठे ही निपटा लेते हैं. मोबाइल ने जितना लोगों का जीवन आसान बनाया है, उतनी दिक्कत भी दी हैं.
इसमें बड़ी लत ही मोबाइल चलाने की है. लेकिन आप विश्वास करेंगे कि आज के समय में लोग मोबाइल की घंटी सुनते ही घबरा जाते हैं? नहीं न? लेकिन ब्रिटेन में 25 लाख से ज्यादा युवा ऐसे हैं जो मोबाइल की घंटी सुनकर घबरा जाते हैं. इस बीमारी कॉल एंग्जाइटी या टेलीफोबिया कहा जाता है.इसी डर को दूर करने के लिए एक कोर्स शुरू हो रहा है.
टेली फोबिया के शिकार लाखों लोग
टेली फोबिया बीमारी मूल रूप से एक स्ट्रेस का ही लक्षण है, जिसमें न तो किसी से बात करने का मन होता है. और न ही कॉल उठाने उठाने का मन होता है. इस स्ट्रेस के कारण लोग शांत पड़े रहते हैं. शांत होने के कारण उन्हें मोबाइल फोन बंजने के कारण ही उन्हें डर लगता है. इस समस्या से आज के समय में लाखों लोग परेशान हैं.
टेली फोबिया का कैसे किया जा रहा इलाज?
टेली फोबिया बीमारी का इलाज अब शुरू किया गया है. ब्रिटेन के नॉटिंघम कॉलेज में इसको लेकर कोचिंग क्लास चलाई जा रही हैं. क्लास में छात्रों को सिखाया जा रहा है कि वह किस तरह से फोन आने पर बात कर सकते हैं. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है और वह टेली फोबिया से उबर रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें लोगों से बातचीत करने के लिए अवेयर किया जा रहा है.
इसके अलावा टेली फोबिया से शिकार लोगों को बताया जा रहा है कि आप किस तरीके से फोन पर अपनी बात रख सकते हैं. कोचिंग क्लास में उन्हें अपनी स्पष्ट बात रखने के बारे में भी सिखाया जा रहा है.
क्यों युवा ही हो रहे इस बीमारी का शिकार
एक रिपोर्ट में बताया गया कि आज के ज्यादातर युवा मैसेज के जरिए ही अपनी बातचीत करते हैं. बहुत कम ही वे एक दूसरे को कॉल करके बातचीत करते हैं. यही कारण है कि वे कॉल पर फंबल होते हैं. एक सर्वे में बताया गया कि 18 से 34 साल के 70% लोगों को मैसेज पर बात करना पसंद है. क्योंकि उनका यही कंफर्ट जोन होता है. यही कारण है कि वे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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