अमेरिका की दो बड़ी कंपनियों ने 24 घंटे में भारत के सामने घुटने टेक दिए हैं. ये दोनों कंपनियां अपने-अपने क्षेत्र की दिग्गज हैं. एक है मार्क जुकरबर्ग की मेटा और दूसरी है हिंडनबर्ग रिसर्च. मेटा खासतौर से जुकरबर्ग जहां भारत को लेकर दुनिया में गलत खबरें फैला रहे थे तो हिंडनबर्ग उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी कर रही थी. मेटा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो माफी भी मांग चुकी है, तो वहीं हिंडनबर्ग का शटर डाउन हो गया है. उसने शुक्रवार को इसका ऐलान किया.
बात पहले हिंडनबर्ग की ही करते हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले कुछ वर्षों से अदाणी समूह के खिलाफ अभियान चला रही थी. इसकी 2023 में छपी रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी तथा वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया था. उस समय इससे भारतीय अरबपति को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था. अदाणी और उनकी कंपनियों ने हालांकि सभी आरोपों से इनकार किया था.
हिंडनबर्ग अमेरिका की निवेश और रिसर्च कंपनी है. उसे बंद करने का फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब अमेरिका में सत्ता का ट्रांसफर होने वाला है. नाथन एंडरसेन ने 2017 में इसकी शुरुआत की थी.
क्यों बंद हुई कंपनी?
एंडरसन ने कहा, इसे बंद क्यों हो जाना चाहिए? कोई खास वजह नहीं है. कोई खतरा नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं और कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है. किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक निश्चित बिंदु पर एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य बन जाता है. शुरू में मुझे लगा कि मुझे खुद को कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है. अब मुझे खुद के लिए कुछ सुकून चाहिए.
वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए एक इंटरव्यू में एंडरसन ने कहा कि वह अपने शौक पूरे करने, यात्रा करने और अपनी मंगेतर तथा उनके बच्चे के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित हैं. उन्होंने भविष्य के लिए पर्याप्त पैसा जोड़ लिया है. वह अपने पैसे को कम तनाव वाले निवेशों में लगाने की योजना बना रहे हैं.
मेटा ने मांगी माफी
फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने मार्क जुकरबर्ग की उस टिप्पणी के लिए माफी मांगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की मौजूदा सरकार 2024 के चुनावों में हार गई थी. जुकरबर्ग ने एक पॉडकास्ट में कहा था, 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारों को कोविड महामारी के बाद हार का सामना करना पड़ा.
उनके इस बयान पर भारत सरकार ने आपत्ति जताई. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के बारे में भ्रामक बयान देने के लिए जुकरबर्ग की आलोचना की थी. वैष्णव ने 13 जनवरी को एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारों को कोविड महामारी के बाद हार का सामना करना पड़ा, तथ्यात्मक रूप से गलत है.
इसके बाद मेटा इंडिया के उपाध्यक्ष शिवनाथ ठुकराल ने एक्स पर लिखा, मंत्री अश्विनी वैष्णव, मार्क जुकरबर्ग का यह बयान कि 2024 के चुनावों में कई सत्तारूढ़ पार्टियां फिर से निर्वाचित नहीं हुईं, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के लिए नहीं. उन्होंने कहा, हम अनजाने में हुई इस भूल के लिए माफी मांगते हैं. भारत मेटा के लिए महत्वपूर्ण देश बना हुआ है और हम इसके अभिनव भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं.
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link