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पाकिस्तान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दोषसिद्धि के खिलाफ अपील का अधिकार देने के लिए नया कानून लागू किया है, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री पद से अपनी अयोग्यता को चुनौती देने का रास्ता खुल गया है। शरीफ को एससी ने 2017 में प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया था, लेकिन वह अपील नहीं कर पाए थे, क्योंकि देश में शीर्ष अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई कानून नहीं था। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने शुक्रवार को SC (फैसलों और आदेशों की समीक्षा) विधेयक, 2023 पर हस्ताक्षर कर दिए, जो संविधान के अनुच्छेद-184 के तहत शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का अधिकार देता है। यह कानून पूर्व के फैसलों पर भी लागू होता है।
विधेयक के उद्देश्य और कारण के स्टेटमेंट के अनुसार, पाकिस्तान के एससी से पारित निर्णयों और आदेशों की सार्थक समीक्षा प्रदान करके न्याय के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करना जरूरी है। इसमें यह भी कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 184 के तहत शीर्ष अदालत के फैसले के मामले में समीक्षा का दायरा अनुच्छेद 185 के तहत अपील के समान होगा। इसमें कहा गया, ‘संविधान के अनुच्छेद 184 के तहत मूल अधिकार के प्रयोग में SC के निर्णयों व आदेशों के मामले में तथ्यों और कानून दोनों पर समीक्षा का दायरा अनुच्छेद 185 के तहत अपील की तरह होगा।’
‘नवाज शरीफ को 60 दिन के भीतर देनी होगी चुनौती’
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमानुल्ला कनरानी ने नए कानून का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कानूनी समुदाय की ओर इसकी मांग की जा रही थी। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ कानून के लागू होने के 60 दिनों के भीतर अपनी अयोग्यता को चुनौती दे सकते हैं। हालांकि, कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि शरीफ को इससे लाभ नहीं मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह उनकी ओर से अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करना है। तरार ने कहा कि उन्होंने समीक्षा दायर की थी जिसे खारिज कर दिया गया था।
‘नए कानून को दी जाएगी चुनौती’
इमरान खान का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गौहर खान ने कहा कि नए कानून को चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘यह न्यायपालिका से जुड़े मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश है। इसलिए हमारी ओर से इसे चुनौती दी जाएगी।’ ऐसा माना जा रहा है कि यह कानून शरीफ को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कानून मंत्री ने ध्यान भटकाने का प्रयास किया है ताकि इसे चुनौती न दी जा सके। कहा जाता है कि शरीफ ने दोषसिद्धि के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी लेकिन यह नए कानून में दिए गए अपील के अधिकार के समान नहीं था।
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