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वैश्विक मंदी की आहट और अमेरिका में छाए आर्थिक संकट के बीच अब यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी औपचारिक रूप से मंदी की गिरफ्त में आ गई है। वहां जरूरी सामानों की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। नए आंकड़ों से पता चलता है कि चालू साल की पहली तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित गिरावट आई है। संघीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च में जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
2022 की आखिरी तिमाही में भी जर्मनी की जीडीपी में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। दो लगातार तिमाहियों में जीडीपी का नीचे आना तकनीकी रूप से मंदी में आता है। ये आंकड़े जर्मनी की सरकार के लिए बड़ा झटका हैं। पिछले महीने ही सरकार ने इस साल के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को दोगुना कर दिया था।
एक साल की तुलना में कितनी बढ़ी महंगाई:
सरकार ने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था 0.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जनवरी में इसके 0.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया थ। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऊंची मुद्रास्फीति से उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। अप्रैल में कीमतें एक साल पहले की तुलना में 7.2 प्रतिशत ऊंची हैं।
अर्थशास्त्रियों ने बताया है कि जर्मनी में पहली तिमाही में घरेलू खर्च में 1.2% की गिरावट आ गई है। मंदी की आलम इसी से लगा सकते हैं कि वहां के लोग अब भोजन, कपड़े और फर्नीचर की खरीद करने में भी कंजूसी दिखा रहे हैं। पिछली तिमाही की तुलना में सरकारी खर्च में भी 4.9% की गिरावट आई है।
आगे राह नहीं आसान:
अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी कि क्रय शक्ति में गिरावट, कमजोर औद्योगिक मांग, बढ़ती ब्याज दरें, साथ ही अमेरिका सहित अन्य देशों में आर्थिक विकास में मंदी आने वाले महीनों में जर्मनी की अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर सकता है और आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है।
कैसे आई आर्थिक मंदी:
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि जर्मनी के लोगों की क्रय शक्ति में गिरावट, इंडस्ट्रियल ऑर्डर बुक में कमी, आक्रामक मौद्रिक नीति का सख्ती से पालन, और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में छाई अपेक्षित मंदी ने मिलकर जर्मन अर्थव्यवस्था में मंदी ला दी है। यानी वैश्विक मंदी की आहट तेज हो गई है।
यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से पूरे यूरोप में ईंधन संकट खड़ा हो गया। इस वजह से जर्मनी समेत कई देशों में महंगाई चरम पर है। वहां खाने-पीने की चीजों की भी कमी हो गई है। मार्च तिमाही के दौरान जर्मनी में उपभोग में 1.2 फीसदी की गिरावट आई है।
दुनिया के लिए कितना खतरा:
संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान के बाद जर्मनी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदान सर्विस सेक्टर का है, जो 70 फीसदी के करीब है। हालांकि, मंदी के कारण अप्रैल में जर्मनी में रोजगारों की संख्या में थोड़ी ही गिरावट आई। फिर भी बेरोजगारी दर स्थिर रही है। हालांकि, श्रम बाजार अभी स्थिर स्थिति में है।
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