
गुटखा फैक्ट्री के बाहर खड़ी जीएसटी अधिकारियों की गाड़ियां.
उत्तर प्रदेश की गुटखा सिटी के नाम से विख्यात कानपुर से गुटखा कारोबारी अपना बिजनेस समेट रहे हैं. कारण है सरकारी पहरा. अब आप सोचेंगे कि ‘सरकारी पहरे’ से हजारों करोड़ का बिजनेस करने वाले गुटखा व्यापारी क्यों डर गए हैं और डर भी ऐसा कि प्रदेश तक छोड़ने को तैयार हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए पहले हम समझते हैं कि कानपुर का गुटखा कारोबार कितना बड़ा है और कितने लोगों को रोजगार मिलता है?
अगर आप किसी पान की गुमटी पर जाएं और वहां पर टंगे गुटखों को देखेंगे तो उसमें एक चीज कॉमन मिलेगा. वह है कानपुर का पता. कभी पूरब का मैनचेस्टर कहे जाने वाला कानपुर बीते कई दशक में गुटखा सिटी बन गया है. यहां शुद्धप्लस, शिखर, मधु समेत 47 कंपनियों के प्लांट हैं, जिसमें एक लाख से अधिक लोग काम करते हैं. कानपुर के बाहरी क्षेत्र और कानपुर देहात में गुटखा कंपनियों के प्लांट हैं. यहीं पर बना गुटखा पूरे देश में बिकता है.
गुटखा कारोबार से जुड़े हैं एक लाख लोग
कानपुर के ही एक जीएसटी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर TV9 डिजिटल को बताया कि कानपुर के गुटखा कंपनियों का साम्राज्य का आप अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि केवत 3 कंपनियों ने 3 महीने के अंदर 148 करोड़ रुपये का गुटखा बेचा है. कानपुर के गुटखा कारोबार से एक लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें सुपाड़ी से लेकर इत्र तक के सप्लायर शामिल हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से कानपुर की गुटखा कंपनियों पर जीएसटी की नजर टेड़ी हो गई है.
गेट पर निगरानी करने के लिए लगाए गए अधिकारी
जीएसटी ने टैक्स चोरी के आरोप में पिछले कुछ महीनों के अंदर कई गुटखा कंपनियों पर छापेमारी की. इस छापेमारी के बाद जीएसटी ने टैक्स चोरी रोकने के लिए कंपनियों के गेट पर अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी. 24 नवंबर से लगातार 24 घंटे तक अधिकारी शिफ्ट लगाकर पहरेदारी कर रहे हैं और प्लांट से जाने वाली हर गाड़ियों का हिसाब-किताब रखा जा रहा है. जीएसटी अधिकारियों ने गुटखा कंपनियों ने उनके सीसीटीवी का एक्सेस भी मांगा है.
सरकारी पहरे से डरे व्यापारी, कहा- हम नहीं कर सकते व्यापार
फिलहाल, गुटखा कंपनियों के मालिकों ने सीसीटीवी का एक्सेस देने से मना कर दिया है. TV9 डिजिटल से बात करते हुए गुटखा कंपनी के मालिकों कहना है कि हम डर के साये में व्यापार नहीं कर सकते हैं, जीएसटी के पास सचल दस्ते की टीम होती है, अगर उन्हें लगता है कि जीएसटी चोरी हो रही है तो वह छापेमारी कर सकते हैं या माल लेकर जा रही गाड़ियों की तलाशी ले सकते हैं, लेकिन गेट पर अधिकारियों को बैठाकर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है.
कई कंपनियों ने अपना प्लांट दूसरे राज्यों में किया शिफ्ट
गुटखा कंपनियों के मालिक ने साफ कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम अपना व्यापार किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. पिछले कुछ महीनों के अंदर ही पांच बड़ी कंपनियों ने अपने प्लांट को मध्य प्रदेश, हिमाचल और झारखंड में शिफ्ट किया है. जीएसटी की सख्ती के कारण कुछ प्लांट गुवाहाटी में भी शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. एक कंपनी ने उत्तराखंड में अपने प्लांट के लिए जमीन की खरीद भी कर ली है.
पांच बड़ी कंपनियों ने पलायन करना शुरू कर दिया
गुटखा कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि पांच बड़ी कंपनियों ने अपने 90 फीसदी कारोबार को यहां से समेट लिया है और उनको देखकर बाकी कंपनी भी अपने कारोबार को समेटने की तैयारी कर रही है. व्यापारी नेताओं का कहना है कि जीएसटी की सख्ती के कारण अब तक कई करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. कंपनियां अपनी क्षमता से कम ही प्रोडक्शन कर रही हैं और हालात ऐसे ही रहे तो सभी गुटखा कंपनी यहां से पलायन करने के लिए मजबूर होंगी.
कंपनियों के जाने से कानपुर नहीं पूरे प्रदेश को होगा नुकसान
कानपुर से अगर गुटखा कंपनियों ने पलायन शुरू किया तो इसका नुकसान पूरे प्रदेश को होगा. सालाना करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में सरकारों को मिलते हैं. इसके साथ ही गुटखा कंपनियों से एक लाख लोगों की रोजी-रोटी चलती है, जिस पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कंपनियों के पलायन के मामले में जीएसटी के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने आधिकारिक तौर पर बात करने से मना कर दिया, लेकिन औपचारिक बातचीत में कुछ अहम जानकारी दी.
निगरानी हटाकर सीसीटीवी लगाने का है प्लान
जीएसटी अधिकारियों का कहना है कि कानपुर में बड़े पैमाने पर गुटखा कंपनियों की ओर से टैक्स चोरी की शिकायत मिल रही थी, इसके कारण ही हमने अधिकारियों को उनके गेट पर बैठाया है. आने वाले समय में जीएसटी की ओर से इन कंपनियों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जो गाड़ियों के नंबर प्लेट को रीड करके अपडेट देते रहेंगे. पलायन के सवाल पर अधिकारियों ने कहा कि हमें इस बारे में कोई सूचना नहीं है, यह सिर्फ मीडिया में चल रहा है.
क्यों कंपनियों के बाहर ‘सरकारी पहरा’?
जीएसटी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘टैक्स चोरी रोकने के लिए हमने कई कदम उठाए, लेकिन कंपनियों ने नया रास्ता खोज लिया. लोकल या आसपास के लिए ट्रक जाता है और लोडर में वितरित करके माल की सप्लाई कर दी जाती है. फिर उसी ट्रक और ई-वे बिल से माल किसी और शहर के लिए निकल जाता है. इसलिए आस-पास माल देने में पकड़ करना मुश्किल है. इस वजह से कंपनियों के बाहर सरकारी पहरेदारी की जा रही है.
– India Samachar
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