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प्रयागराज में महाकुंभ में शामिल होने के लिए कई साधू संत पहुंचे हैं. वहीं कुछ संत तो ऐसे हैं जो अपना समाजिक जीवन छोड़कर अध्यात्म की खोज में जुट गए हैं. बाबा अभय सिंह ने बताया कि वह कनाडा में नौकरी कर रहे थे. तीन लाख रुपए सालाना वेतन मिलता था लेकिन वो उसे छोड़ अध्याम की खोज में निकल पड़े.
अच्छा जीवन जीने के लिए कोई डॉक्टर बनता है तो कोई इंजीनियर बनता है. मकसद यह होता है कि इतने पैसै कमा लें जिससे की सामान्य जीवन आप अच्छे तरीके से जी सकें. बावजूद इसके ऐसे भी लोग हैं जो अध्यात्म की खोज के लिए लाखों करोड़ों की नौकरी छोड़कर निकल पड़े हैं.
अभय सिंह ने कहा कि मैं कनाडा में नौकरी कर रहा था. उस वक्त तीन लाख प्रति महीने की उनकी सैलरी थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ और काफी अच्छी सैलरी पर वह वहां से छोड़कर भारत आ गए.
विवाह को लेकर क्या बोले?
अभय सिंह ने कहा कि जब आईआईटी मुंबई से निकलकर फैशन डिजाइनर का कोर्स करने के बाद मेरे पास नौकरी के साथ-साथ घर बसाने का भी विकल्प था. बावजूद इसके कुछ ऐसी बात थी कि ऐसा लगता था कि कमी है. बस फिर क्या जो इच्छा हुई भी वह समय के साथ जाती रही.
असली साइंस कुछ और है
बाबा अभय सिंह ने कहा कि मैंने दसवीं तक की पढ़ाई हरियाणा में की. उसके बाद मैंने आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़ाई की तो ऐसा लग रहा था ऐरोनॉटिक्स इंजिनियर ही सबकुछ है. लेकिन उसके बाद भी लगा कि जिस सांइस को मैने पढ़ा है, वो तो कुछ है ही नहीं. उन्होंने कहा कि अभी जो आध्यात्म पढ़ रहे हैं वही असली साइंस है.
पूरा परिवार छोड़कर आया
अभय सिंह ने कहा कि उनके पीछे पूरा परिवार है. उनके पिता पेशे से वकील हैं. उनकी एक बहन है जो कनाडा में रहती है. उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल था इस सामाजिक दायरे को तोड़ना. हालांकि उन्होंने कहा कि अब वह घर नहीं जाते हैं.
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