उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही कानून व्यवस्था के चुस्त-दुरुस्त होने का दावा करती रहती है, लेकिन तीन महीनों के अंदर हुई तीन वारदातों ने दावों की पोल खोल दी है. वाराणसी से लेकर मेरठ तक 15 हत्याएं हुईं, लेकिन अभी तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. कई टीमें बनाई गईं और 25 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक का ईनाम भी रखा गया, लेकिन आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाएं. आखिर यूपी सरकार और पुलिस क्यों फेल साबित हो रही है-
5 नवंबर को वाराणसी के भदैनी इलाके में शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता, दो बेटों नवनेंद्र और सुबेंद्र के साथ ही बेटी गौरांगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता पर शक किया, लेकिन चंद घंटे बाद ही राजेंद्र गुप्ता की भी लाश मिल गई. पुलिस की तफ्तीश में पता चला कि पांचों मर्डर के पीछे राजेंद्र का भतीजा विशाल उर्फ विक्की हो सकता है. राजेंद्र गुप्ता ने 27 साल पहले विशाल के पिता और मां की हत्या की थी.
राजेंद्र ने की थी अपने भाई-भाभी और पिता की हत्या
लक्ष्मी गुप्ता के दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्ण गुप्ता थे. लक्ष्मी गुप्ता ने अपनी संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा कृष्ण गुप्ता को दे दिया था. इससे नाराज राजेंद्र गुप्ता ने 1997 में कृष्ण गुप्ता और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में राजेंद्र गुप्ता जेल गया था, लेकिन 2003 में परोल पर बाहर आने के बाद उसने अपने पिता लक्ष्मी गुप्ता और उनके सिक्योरिटी गार्ड की सुपारी देकर हत्या करवा दी. लक्ष्मी गुप्ता ही कृष्ण गुप्ता के बेटे विशाल और जुगनू को पाल रहे थे.
विशाल उर्फ विक्की पर एक लाख का ईनाम
इस घटना के बाद से ही विशाल गुप्ता के मन में बदला लेने की आग धधक रही थी. उसने अपने बहनोई से यह बात कही भी थी. राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार की जब हत्या हुई तो मौके पर जुगनू पहुंचा था, लेकिन विशाल तब से नहीं आया. इसके बाद से ही पुलिस को शक है कि राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार की हत्या में विशाल उर्फ विक्की शामिल है, लेकिन पुलिस को वो मिला नहीं. पुलिस ने फरार विशाल उर्फ विक्की पर एक लाख रुपये का ईनाम भी रखा है.
नए साल पर लखनऊ में हुआ था पांच मर्डर
वाराणसी की ही तरह लखनऊ में नए साल पर एक जघन्य वारदात हुई थी. लखनऊ के नाका इलाके में एक होटल से पुलिस को पांच लाशें मिली थी. इस वारदात को अरशद नाम के एक शख्स ने अंजाम दिया था और उसने ही पुलिस को फोन करके घटना के बारे में बताया था. अरशद ने अपनी मां और चार बहनों की निर्ममता से हत्या कर दी थी. कुछ का गला घोंटा गया था, तो कुछ की कलाई और गर्दन काट दिए गए थे. पुलिस ने अरशद को गिरफ्तार कर लिया था.
बेटे ने ही मां और चार बहनों की हत्या की थी
पुलिस की पूछताछ में अरशद ने बताया था कि 31 दिसंबर की रात लखनऊ के नाका हिंडोला क्षेत्र स्थित होटल शरणजीत में वो अपने पिता बदर, मां अस्मा और बहनें- अल्शिया, रहमीन,अक्सा और आलिया के साथ ठहरने आया था. इसी रात उसने मां और चार बहनों की गला दबाकर और हाथों की नसें काट कर निर्मम हत्या कर दी थी. बेटे अरशद ने वारदात के बाद लाशों के साथ वीडियो बनाकर पड़ोसियों पर आरोप लगाए थे. हत्या के बाद पिता बदर फरार हो गया था.
पिता बदर पर 25 हजार का ईनाम, अभी भी फरार
पुलिस पूछताछ के दौरान अरशद ने कई बार अपने बयान बदले और पिता बदर को लेकर कोई जवाब नहीं दिया. पुलिस ने चार टीमें बदर को तलाशने में लगा दी थी, लेकिन वारदात के 15 दिन बीतने के बाद भी बदर का कुछ अता-पता नहीं है. उस पर 25 हजार रुपये का ईनाम रखा गया है. पुलिस की कई टीमें सर्विलांस और सीसीटीवी के जरिए बदर की तलाश में जुटी हुई है… लेकिन वाराणसी की तरह लखनऊ पुलिस भी अभी तक फेल ही साबित हुई है.
मेरठ में भी एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या
वाराणसी और लखनऊ की ही तरह मेरठ में एक ही परिवार के पांच लोगों की लाश मिली थी. 9 जनवरी को हुई इस वारदात में राजमिस्त्री मोइन, उसकी पत्नी आसमां और तीन बेटियों- अक्सा, अजीजा, जिया की गला दबाकर हत्या कर दी थी. इस वारदात को मोइन के सौतेले भाई नईम बाबा अंजाम दिया था. फिर नईम अपने दत्तक बेटे सलमान के साथ फरार हो गया. पुलिस ने नईम पर 50 हजार रुपये का ईनाम रखा है.
आरोपी नईम पर पुलिस ने रखा 50 हजार का ईनाम
नईम ने 2005 में मुंबई में दोहरे हत्याकांड को भी अंजाम दिया था. इसके बाद से ही वह मुंबई से फरार होकर नासिक भाग गया था. मुंबई पुलिस की टीम ने नईम को तलाशने के लिए मेरठ में 2010 में छापेमारी भी की थी, लेकिन वह मिला नहीं था. पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि नईम कब से मेरठ के सुहेल गार्डन में रह रहा था. फिलहाल, नईम की पत्नी नूरी भी फरार है. पुलिस को अभी तक नईम का कोई सुराग भी हाथ नहीं लगा है.
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