
दिल्ली विधानसभा चुनाव और भाजपा.
दिल्ली की सियासत में बीजेपी भले ही 27 सालों से सत्ता का वनवास झेल रही हो, लेकिन इस बार पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरी है. बीजेपी हर एक दांव बहुत ही रणनीति के साथ चल रही है. बीजेपी ने दिल्ली में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं दिया है, लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर ‘कमल’ खिलाने का खास प्लान बनाया है. दिल्ली में पांच विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिस पर मुस्लिम विधायक ही चुने जाते रहे हैं. बीजेपी के लिए ये सीटें काफी मुश्किल और चुनौती भरी मानी जाती हैं, लेकिन इस बार मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई में हिंदू कार्ड चलकर फतह करने की स्टैटेजी बनाई है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM तक मुस्लिम उम्मीदवारों पर ही दांव खेल रखे हैं. इस तरह तीन मुस्लिम चेहरों की बीच बीजेपी ने हिंदू उम्मीदवार पर दांव खेला है. ऐसे में बीजेपी के जीत की उम्मीद मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं के वोटों के बिखराव पर टिकी है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी की स्टैटेजी काम आती है या फिर आखिर रात में सारा खेल बदल जाएगा?
दिल्ली के मुस्तफाबाद सीट से लेकर ओखला, मटिया महल, सीलमपुर और बल्लीमरान सीट पर आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. कांग्रेस ने भी मुस्लिमों को ही टिकट दे रखा है तो असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम पर ही भरोसा जताया है, लेकिन बीजेपी ने किसी मुस्लिम को टिकट देने के बजाय हिंदू समुदाय के प्रत्याशी पर ही अपना भरोसा जताया है. इस बार बीजेपी ने अभी तक किसी भी सीट पर कोई भी मुस्लिम समाज के प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है. इस तरह से बीजेपी ने हिंदुत्व का दांव चलकर एक नई रणनीति के साथ उतरी है.
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बीजेपी ने हिंदू समुदाय के प्रत्याशी पर जताया भरोसा
मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट पर कांग्रेस ने अली मेंहदी को प्रत्याशी बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने आदिल अहम खान को टिकट दे रखा है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगे के आरोपी रहे ताहिर हुसैन को टिकट दिया है. इसी तरह ओखला सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान को प्रत्याशी बनाया तो ओवैसी ने जेल में बंद शिफाउर रहमान को टिकट दिया है. कांग्रेस ने अभी ओखला सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन मुस्लिम समाज से ही प्रत्याशी उतारा जाना तय है. ऐसे में बीजेपी ने मनीष चौधरी को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
मटिया महल सीट से विधायक शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल को आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस असीम अहमद खान को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने दीप्ति इंदौरा को टिकट दिया है. बल्लीमरान सीट से विधायक इमरान हुसैन को केजरीवाल ने फिर से उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ को टिकट दिया है और बीजेपी ने रामनगर वार्ड से पार्षद कमल बागड़ी पर भरोसा जताया है.
मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई में हिंदुत्व का दांव
आम आदमी पार्टी ने सीलमपुर से चौधरी मतीन के बेटे जुबैर अहमद को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान को टिकट दिया है और बीजेपी ने मौजपुर से पार्षद अनिल गौड़ को प्रत्याशी बनाया है. असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम बहुल मटिया महल, बल्लीमरान और सीलमपुर जैसी सीट पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन चुनाव लड़ाने और मुस्लिम कैंडिडेट को उतारने की पूरी तैयारी कर रखी है. इस तरह से बीजेपी ने इन सभी पांचों सीटों पर मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई में हिंदुत्व का दांव खेला है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्लिम कैंडिडेट के आमने-सामने हैं. कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी और AIMIM ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखे हैं. दिल्ली की दो सीट पर तीन मुस्लिम प्रत्याशी अभी है, जबकि तीन सीटों पर दो-दो मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में है. इस तरह से मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने है. मुस्लिम नेताओं के आमने-सामने टकराने से मुस्लिम वोटों का बिखराव होना तय माना जा रहा है, जिसके चलते बीजेपी को अपनी जीत की उम्मीद दिखने लगी है. इसीलिए बीजेपी ने हिंदू प्रत्याशी को उतारा है ताकि धार्मिक धुर्वीकरण का लाभ मिल सके.
हिंदू प्रत्याशी के उतरने से मुकाबला हुआ रोचक
हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर ऐसे ही स्थिति बनी थी, लेकिन मुस्लिमों का वोट एकमुश्त आम आदमी पार्टी के खाते में गया था. इसके चलते दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था, लेकिन दिल्ली नगर निगम के चुनाव की वोटिंग पैटर्न काफी अलग था. कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने के चलते मुस्लिम वोटों में बिखराव नहीं हो सका. अब विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अलग-अलग किस्मत आजमा रही हैं. ऐसे में मुस्लिम बहुल सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि ओवैसी और बसपा मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दांव खेल रही हैं, लेकिन बीजेपी ने हिंदू प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है
– India Samachar
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