जोधपुर झाल पर एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2025 के अंतर्गत पांच साल बाद जलीय पक्षियों गणना की गई। इसमें 62 प्रजातियों की पहचान की गई है, 29 प्रवासी व 33 स्थानीय प्रजातियां रिकॉर्ड की गईं। साथ ही आईयूसीएन की संकटग्रस्त सूची में शामिल नौ प्रजातियां भी रिकाॅर्ड हुईं। इनमें सारस क्रेन, ब्लैक-नेक्ड स्टार्क, पेंटेड स्टार्क, ओरिएंटल डार्टर, काॅमन पोचार्ड, बूली-नेक्ड स्टाॅर्क, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल और ब्लैक-हेडेड आईबिश शामिल हैं।
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वेटलैंड्स इंटरनेशनल के इस गणना में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, वन विभाग और बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी अधिकारी भी शामिल रहे। वेटलैंड इंटरनेशनल के उत्तर प्रदेश कोऑर्डिनेटर नीरज श्रीवास्तव के निर्देश एवं बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डाॅ. केपी सिंह के नेतृत्व में निधि यादव, शम्मी सईद, अनुज यादव, अनुज परिहार, सुनीता, आकांक्षा, शिवेंद्र प्रताप, नीलेश यादव, छवि छोंकर, श्याम सिंह, अजीत गौतम समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
गणना में सर्वाधिक मिले बार-हेडेड गूज पक्षी
जोधपुर झाल पर बार-हेडेड गूज 370, नोर्दन पिनटेल 224 व काॅमन टील 220 के अतिरिक्त गेडवाल, यूरेशियन विजन, नोर्दन शोवलर, पाइड एवोसेट, लिटिल स्टिंट, टैमिनिक स्टिंट, सेंडपाइपर, वेगटेल, ब्लैक-विंग स्टिल्ट, पर्पल स्वैम्प हैन, काॅमन स्नाइप आदि पक्षी की गणना की गई।
बढ़ रही पक्षियों की संख्या
मथुरा के डीएफओ रजनीकांत मित्तल ने बताया कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद और वन विभाग की निरंतर निगरानी और सुरक्षा के कारण प्रवासी पक्षियों पर संकट कम होने से इनकी आवक बढ़ रही है। पक्षी विशेषज्ञ डाॅ. केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल वेटलैंड पर नमभूमि के क्षेत्रफल को नए जलीय हेविटाट बनाकर विस्तारित किया गया है। इसके परिणाम स्वरूप वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
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