नोएडा । नोएडा के थाना फेस-3 पुलिस ने चार ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो समलैंगिक ग्राइंडर ऐप के माध्यम से लोगों को फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल कर उनसे पैसों की ठगी किया करते थे। उनके कब्जे से 12,700 रुपये व एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड व एक आरसी बरामद हुई है।
डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया है कि 8 जनवरी को पीड़ित ने थाना फेस-3 पर शिकायत दी कि शनि, करन कुमार, रजत और तुषार ने पीड़ित से गूगल-पे खाते से 24,300 रुपये ट्रांसफर करा लिए हैं। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की।
9 जनवरी को थाना फेस-3 पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वांछित आरोपियों शनि, करन कुमार, रजत और तुषार को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से 12,700 रुपये व एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आरसी बरामद हुई है।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये लोग ग्राइंडर समलैंगिक ऐप के माध्यम से अलग-अलग आईडी बनाकर लोगों को अपने पास बुलाकर उन्हें डरा धमकाकर उनके पैसे ट्रांसफर करा लेते हैं व उनका सामान व कागजात ले लेते हैं। इन चारों ने मिलकर ग्राइंडर समलैंगिक ऐप पर अक्की गोस्वामी नाम की आई.डी. वाले लड़के को फंसाने का प्लान बनाया। इन्होंने शनि नाम की आई.डी. से आपस में चैट कर उसे बुलाया था तथा उसे लेने के लिए शनि को उसके पास भेजा था। जहां से उसे साथ लेकर ममूरा शनि के कमरे पर गए।
प्लानिंग के मुताबिक इन लोगों ने पीड़ित की जेब से 4,000 रुपये निकाल लिए थे। उसके बाद आरोपियों ने पीड़ित को डराया धमकाया कि हम तुम्हारे समलैंगिक होने की बात तुम्हारे घरवालों व रिश्तेदारों को बता देंगे। इसलिए तुम्हारे खाते में जितने रुपये हैं ट्रांसफर करो। इसके बाद इन्होंने पीड़ितों के खाते से गूगल-पे के माध्यम से 14,300 रुपये व 10,000 रुपये पीड़ितों के भाई से शनि के खाते में कुल 24,300 रुपये ट्रांसफर कराए और पीड़ित का आधार कार्ड, पैन कार्ड व आरसी और पैसे लेने के लिए अपने पास रख लिया।
पुलिस पूछताछ में इन्होंने बताया कि ये लोग ग्राइंडर समलैंगिक डेटिंग ऐप से लोगों को फंसाकर समाज में बदनामी का भय दिखाकर धोखाधड़ी करते हैं। ऑनलाइन ऐप पर प्रोफाइल मैचिंग के बाद चैट करते हैं, और इस तरह के तथ्य जुटा लेते हैं जिससे पीड़ित को बाद में ब्लैकमेल किया जा सके। गोपनीय बातों को सार्वजनिक करने के नाम पर पीड़ित को गुमराह करते हैं। जिससे पैसे निकलवा पाएं। ये आरोपी खुद की प्रीमियम प्रोफाइल बनाते हैं ताकि वह प्रमाणित लगे और पीड़ित को इनके इरादों पर शक न हो। उनको डरा-धमकाकर उनसे गलत तरीके से रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं।
–आईएएनएस
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