योगी सरकार ने संंभल से 2027 को अभी से साधने का मन बना लिया है. संंभल में मंदिरों के मिलने और बावड़ियों के खोद कर निकालने की घटनाओं के बीच सरकार ने एक और बड़ा फ़ैसला लिया है. सरकार 1978 के संंभल दंगों की जांच फिर से कराने जा रही है. 46 साल बाद इस फैसले ने यूपी में सियासी हलचल बढ़ा दी है.
यूपी सरकार ने साल 1978 में संभल में हुए दंगों की फाइल 46 साल बाद फिर से खोलने का फैसला किया है. एसीएस होम ने संभल प्रशासन से एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है. सीएम योगी ने पिछले महीने बयान दिया था कि संभल में हुए दंगों में कथित 184 लोग मारे गए थे और कई बेघर हुए थे. हालांकि आधिकारिक मृतकों का आंकड़ा 24 था. विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने फिर से संभल दंगे की जांच की मांग की थी.
फाइल खुलते ही सरकार पर उठने लगे सवाल
संंभल दंगे की फ़ाइल फिर से खोलने के पीछे सरकार की मंशा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. सपा और कांग्रेस इसको राजनीतिक लाभ उठाने वाला कदम बता रही है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि बहुत स्पष्ट है, BJP सरकार सांप्रदायिकता के जहर को फैला कर वोटों की फसल काटना चाहती है, 1978 के बाद 4 के मुख्यमंत्री BJP के रहे हैं. अब तक इन्होंने दंगे के बात नहीं की. अभी इस वक्त क्यों कर रहे हैं, क्योंकि भारतीय जनता के पास अपनी उपलब्धि बताने के लिए कुछ नहीं है.
क्या है बीजेपी का फाइल खोलने के पीछे का मकशद?
इस फाइल खोलने को बीजेपी सरकार संवेदनशील मामले में पीड़ितों को न्याय देने के रूप में देख रही है, क्योंकि पीड़ित हिन्दू थे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनके साथ न्याय नही किया था. संंभल हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर भी राजनीति हो रही है. सीएम योगी ने विधानसभा में 178 लोगों के मरने की बात कही थी, जबकि सरकारी आंकड़ों में 24 लोग मारे गए थे.
केस रि-ओपन पर क्या कहते हैं पत्रकार?
वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी इसे सरकार का पोलिटिकली मोटिवेटड फैसला बता रहे हैं. उनका कहना है कि 46 साल बाद जो आरोपी थे या सजायाफ्ता या पीड़ित उनमें से ज्यादातर या तो मर गए होंगे, अगर जिंदा भी होंगे तो 80 से 90 की उम्र के बीच होंगे.
इसको रि-ओपन करने का बस एक ही मकसद है कि कुछ लोग बदनाम हों और हमें एक समुदाय विशेष की सिंपथी हासिल हो जाए. 24 लोगों के मौत का आधिकारिक आंकड़ा है. जिसमें 12 लोगों को ज़िंदा जलाने की बात है, लेकिन सरकार 178 की मौत बता रही है!
कहां से शुरू हुई इस पर राजनीति
संभल में कब-कब दंगे हुए. इस पर सीएम योगी विधानसभा में बताया था. उन्होंने कहा था कि1947 से संभल में दंगा शुरू किया गया था. 1947 में 1 मौत, 1948 ने 6 लोगों की मौत , 1958 और 1962 में दंगे हुए. 1976 में 5 लोगों को दंगों में जान गंवानी पड़ी. 1978 में तो 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप जलाया गया और हत्या की गई. आप इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करेंगे. 1980 और 1982 में दंगे हुए. 1986 के दंगे में 4 लोग मारे गए.
1990,92 मे फिर दंगे हुए. 1996 में 2 मौत हुई. यह लगातार सिलसिला चलता रहा है. संभल में 1947 से अब तक 209 हिंदुओं की मौत हुई है और इनके लिए किसी से संवेदना के दो शब्द तक नहीं कहे .
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