जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वक्फ संपत्तियों को लेकर दिए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि उनका बयान वास्तविकता से परे है. एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए . मौलाना मदनी ने कहा कि उनके बयान से ऐसा लगता है कि वह एक खास अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ खड़े हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य हमेशा से ही सामाजिक भलाई और कल्याण रहा है. इनका इस्तेमाल इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार मस्जिदों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और अनाथालयों के निर्माण और जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाता है. वक्फ बोर्ड की स्थापना वक्फ अधिनियम 1954 के तहत की गई है. इसी आधार पर देश के अधिकांश राज्यों में वक्फ अधिनियम स्थापित हैं, जिनकी देखरेख और संरक्षण राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है.
CM योगी के संरक्षण में ही काम कर रहा वक्फ:मदनी
मौलाना मदनी ने कहा कि यूपी वक्फ बोर्ड सीएम योगी की सरकार के संरक्षण में ही काम कर रहा है. इसके साथ ही एक केंद्रीय वक्फ परिषद भी है, जो भारत सरकार के अधीन काम करती है. यह एक तथ्य है कि भारतीय कानून ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक उचित और मजबूत व्यवस्था बनाई है. इसलिए ऐसा बयान देते समय उन्हें इसके प्रभावों और परिणामों पर विचार करना चाहिए.
मदनी का कहना है कि सीएम योगी का यह बयान कि ‘वक्फ बोर्ड एक भू-माफिया है’. इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि वह देश के कानून, इसके संविधान और यहां की सरकारों को इस ‘माफिया’ का संरक्षक बता रहे हैं. इतना ही नहीं, इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि वक्फ संपत्तियां इस देश का हिस्सा नहीं, बल्कि शत्रु संपत्ति हैं. मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है.
किरेन रिजिजू के बयान का भी दिया हवाला
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड के बावजूद इस देश में बड़ी संख्या में वक्फ जमीनों पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का कब्जा है. इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को संसद में माना था कि 58,929 वक्फ संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हैं. वह संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा दिए गए बयान का हवाला दे रहे थे.
बीजेपी सांसद बसवराज बोम्मई के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी) को वक्फ संपत्तियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शिकायतें मिलती रहती हैं, जिन्हें उचित कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य वक्फ बोर्डों और सरकारों को भेजा जाता है. मौलाना मदनी ने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ को लेकर कई भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, लेकिन एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए जो वास्तविकता से परे हों.
‘वक्फ संपत्तियों को सुरक्षा देना CM की जिम्मेदारी’
मुख्यमंत्री होने के नाते वक्फ संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान करना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन उनके इस प्रकार के बयान के बाद ये उम्मीदें खत्म हो गई हैं. मौलाना मदनी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ का यह बयान कि गरीबों के लिए घर और अस्पताल बनाने के लिए वक्फ की जमीन वापस ली जाएगी, न केवल एक राजनीतिक दावा है बल्कि वक्फ के वास्तविक उद्देश्यों की अनदेखी भी करता है.
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उन्होंने कहा कि वक्फ की जमीनें हमेशा गरीबों, अनाथों और जरूरतमंदों की मदद के लिए समर्पित रही हैं. इनका इस्तेमाल कल्याणकारी कार्यों के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि वक्फ भूमि का उपयोग उसके मूल कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए किया जाए.
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