अतुल सुभाष के बेटे की कस्टडी को लेकर 7 जनवरी के दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अतुल के परिवार को झटका देते हुए कहा कि बच्चे की दादी अभी उसके लिए अंजान है. ऐसे में पोते की कस्टडी दादी को नहीं दी जा सकती. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अतुल की मां को बच्चे की कस्डटी लेने का दूसरा विकल्प भी बताया.
जस्टिस बेला एम.त्रिवेदी और जस्टिस एन.कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान निकिता के वकील ने कोर्ट में बच्चे का पता भी बताया. कोर्ट सुभाष की मां अंजू देवी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने 4 वर्षीय पोते की कस्टडी मांगी थी.
‘याचिकाकर्ता बच्चे के लिए अजनबी’
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है. यदि आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिल लें. आप बच्चे की कस्टडी चाहती हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है.’ आगे कहा कि बच्चे की कस्टडी का मुद्दा निचली अदालत में उठाया जा सकता है.
क्या है अतुल सुभाष केस
34 वर्षीय अतुल सुभाष 9 दिसंबर 2024 को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालू इलाके में अपने घर में फंदे से लटके पाए गए थे. उन्होंने कथित तौर पर लंबा मैसेज भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को सुसाइड करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
वकील ने बताया बच्चे का पता
सुनवाई के दौरान, अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट से बच्चे का पता बताते हुए कहा कि बच्चा अभी हरियाणा में फरीदाबाद जिले के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है। वकील ने आगे कहा,”हम बच्चे को बेंगलुरु ले जाएंगे। हमने उसे स्कूल से निकाल लिया है। जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए (बच्चे की) मां को बेंगलुरु में ही रहना होगा।”
अतुल सुभाष की मां के वकील ने लगाया ये आरोप
अतुल सुभाष की मां के वकील कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की कस्टडी की मांग की और आरोप लगाया कि अलग रह रही उनकी बहू ने बच्चे का पता छिपा रखा है. उन्होंने दलील दी कि 6 साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए और याचिकाकर्ता के साथ बच्चे की अच्छी बातचीत को दिखाने के लिए उस तस्वीर का हवाला दिया जब वह (बच्चा) केवल 2 साल का था.
इसके बाद बेंच ने बच्चे को 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले का फैसला मीडिया ट्रायल के आधार पर नहीं किया जा सकता. जानकारी दे दें कि बेंगलुरु की एक अदालत ने सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में सुभाष की अलग रह रही पत्नी, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को 4 जनवरी को जमानत दे दी थी.
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