दिल्ली में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ आचार संहिता भी लागू हो गई है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही दिल्ली में आचार संहिता लागू हो गई है. चुनाव पूरा होने तक यहां आचार संहिता लागू रहेगी. इस दौरान कई चीजों पर पाबंदी रहेगी. जैसे सरकार किसी तरह की कोई योजना का ऐलाना नहीं कर सकेगी. इसके साथ कई बदलाव देखने को मिलेंगे. यह बदलाव नई सरकार बनने तक जारी रहेंगे. जानिए, चुनाव की आचार संहिता लागू होने पर किन-किन चीजों पर रोक लग जाती है और चुनाव आयोग ऐसा क्यों करता है?
चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे. दिल्ली की 70 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर मतदान करेंगे. जानिए, आचार संहिता लागू होने के बाद क्या-क्या बदलेगा.
क्यों लागू होती है आचार संहिता?
किसी भी राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद कई कामों पर पाबंदियां लग जाती हैं. राज्य में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता है. आचार संहिता को लागू करने का मकसद है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो सकें. अगर कोई राजनीतिक दल इस आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. ऐसे हालातों में उसके चुनाव लड़ने पर पाबंदी भी लगाई जा सकता है.
दिल्ली में आचार संहिता लागू, क्या कर सकते हैं, क्या नहीं
अगर राज्य में आचार संहिता लागू कर दी गई है तो सरकार किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, योजनाओं की घोषणाएं, परियोजनों का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन नहीं कर सकती. अगर किसी पार्टी के कैंडिडेट, प्रत्याशी या समर्थक को रैली करनी है या जुलूस निकालना है तो पहले पुलिस से परमिशन लेनी होगी.
चुनाव आयोग की गाइडलाइन कहती है, कोई भी नेता धर्म या जाति के नाम पर जनता से वोटों की मांग नहीं कर सकता. इसके अलावा उसे ऐसा भी कुछ भी करने की इजाजत नहीं है जो जाति या धर्म के बीच मतभेद पैदा करे. बिना किसी की अनुमति के उसके घर या दीवार पर झंडे-बैनर नहीं लगाए जा सकते. मतदान के दिन शराब दुकानें बंद रहेंगी और शराब के जरिए मतदाताओं को रिझाने पर सख्त पाबंदी है.
आचार संहिता की गाइडलाइन कहती है, मतदान के दिन यह सुनिश्चित करना होगा कि बूथों के करीब राजनीतिक दलों या उम्मीदवार के शिविर में भीड़ न हो. इसके अलावा उनके शिविर में किसी तरह की कोई भी प्रचार सामग्री न मौजूद हो. किसी भी तरह की खाने की चीज न परोसी जाए.
चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्ट निर्देश हैं कि राजनीति दल, प्रत्याशी या उनसे जुड़े लोग ऐसा कुछ भी करे सकते जो आचार संहिता के गाइडलाइन के खिलाफ हो. जैसे मतदाताओं को पैसे देकर अपने पक्ष में वोट करने का लालच देना. उन्हें किसी भी रूप में डराना या धमकाना. फर्जी वोटिंग कराना या फिर वोटर्स को मतदान केंद्र तक लाने और ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध करना.
नेताओं के राजनीतिक कार्यक्रमों को मॉनिटर करने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों या ऑब्जर्वर की नियुक्तियां करता है. जब तक आचार संहिता लागू होती है तब तक किसी भी सरकारी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता.
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– India Samachar
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