Ghaziabad News :
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के आह्वान पर किसान ने कड़कती ठंड में जिला मुख्यालय पहुंचे। किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर में खुले आसमान के आसमान के नीचे डेरा डाल लिया। जिलाध्यक्ष चौधरी बिजेंद्र सिंह की अगुवाई में कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों में काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। किसानों ने महामहिम को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा है। किसान मजदूर अधिकार पत्र के नाम से सौंपे गए इस ज्ञापन में देश भर के किसानों की मांगों को याद दिलाने का प्रयास किया गया है।
सांकेतिक धरना भी दिया
किसानों की पहचान हरे रंग की पगड़ी बांधकर सैंकड़ों किसान मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में दााखिल हुए तो पुलिस- प्रशासन अलर्ट हो गया। किसान खुले आसमान के नीचे अपने साथ लाए गए पाल- पल्ली बिछा कर बैठ गए। कुछ ही देर में हुक्के गुड़गुड़ाहट भी शुरू हो गई। बेशक किसान ज्ञापन देने आए थे लेकिन उनके खाने और बनाने का पूरा इंतजाम था। किसानों ने इस मौके पर सांकेतिक धरना भी दिया और अपने साथ लाया गया खाना भी धरने पर ही खाया।
पूरे देश के किसानों की मांगें याद दिलाईं
भारतीय किसानों यूनियन के ज्ञापन में लिखा गया है कि हम मजदूर और किसान आज पूरे देश में अपने मुद्दों को उजागर करने और निवारण की मांग के लिए विरोध कर रहे हैं। हम यह ज्ञापन आपको इस उम्मीद के साथ भेज रहे हैं कि आप देश की इन दो प्रमुख उत्पादक शक्तियों के पक्ष में हस्तक्षेप करें। भारतीय किसान यूनियन 38 वर्षों से देश के उस वर्ग की आवाज को उठा रही है जिसे लोकतंत्र में दबाने का काम किया जा रहा है। हताश देश का किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहा है। वर्षों का बदलते क्रम के साथ ही किसान मजदूर आदिवासी दलित शोषित पिछड़े वर्गों का यह संघर्ष अपने अधिकार के लिए जारी है। वर्ष 2025 शुरू हो चुका है लेकिन कोई भी ऐसा माध्यम नजर नहीं आ रहा है। जिससे इन वर्गों का उत्थान हो सके।
अधिकार पत्र में 11 मुद्दों का उल्लेख
किसानों ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी को घेर कर आंदोलन किया था। किसानों के लंबे संघर्ष के बाद जब कृषि कानून वापस लिए गए थे, तब किसानों से किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। भाकियू के ज्ञापन में बिंदुवार वे सारे वादे लिखे गए हैं जो आंदोलन की वापसी पर सरकार ने किए थे।
1.
सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से खरीद की गारंटी के साथ सी2+50 के आधार पर एमएसपी देनी सुनिश्चित की जाए।
2.
गन्ने का मूल्य उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में खर्च के अनुपात में ₹500 प्रति क्विंटल घोषित किया जाए। भुगतान को डिजिटल माध्यम से जोड़ा जाए।
3.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 43 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए केंद्र सरकार किसानों की सभी मांगे जल्द से पूरी करें।
4.
ऋणग्रस्तता और किसान आत्महत्या को समाप्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी।
5.
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरणों और सार्वजनिक सेवाओं स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली का निजीकरण न किया जाए। कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर ना हो, कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली हो, घरेलू उपयोगकर्ताओं और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए।
6.
कोई डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) राष्ट्रीय सहयोग नीति और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ आईसीएआर समझौते न किए जाएं, जो राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और कृषि के निगमीकरण को बढ़ावा देते हैं। राज्य सरकारें सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा ऋण खरीद प्रसंस्करण और ब्रांडेड विपणन में समर्थित उत्पादक सहकारी समितियों सामूहिक सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यमों के संग को बढ़ावा देने के लिए सहकारी खेती अधिनियम लागू करें।
7.
अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को समाप्त करें, एलआरआर अधिनियम 2013 और एफआरए को लागू करें।
8.
सार्वजनिक संपत्ति के निगमीकरण और लोगों को विभाजित करने के लिए विभाजनकारी नीतियों के उद्देश्य से कॉर्पोरेट सांप्रदायिक नीतियों को खत्म करना।
9.
बीज नीति में संशोधन किया जाए, क्योंकि अत्यधिक पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल आम जनजीवन के लिए खतरनाक होता चला जा रहा है। साथ ही खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों व अन्य वस्तुओं को जीएसटी मुक्त किया जाए और देश में जेनेटिकली मोडिफाइड सीड पर रोक लगाई जाए।
10.
शुगरकेन कंट्रोल ऑर्डर एण्ड खाण्डसारी रेगुलेशंस 2024 को रद्द किया जाए, क्योंकि इस आदेश से उत्तर प्रदेश में 350 खांडसारी के उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। जिसका सीधा प्रभाव गांव देहात के किसान पर पहुंच रहा है।
11.
केंद्र सरकार न्यू नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट पॉलिसी को रद्द करें साथ ही सभी किसान संगठनों से चर्चा कर एक प्रभावी नीति तैयार करें।
धरने पर इनकी रही मौजूदगी
धरने पर जिला अध्यक्ष चौधरी विजेंद्र सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा, राष्ट्रीय महासचिव ओमपाल सिंह, राजेंद्र चौधरी, जीत सिंह, नेपाल सिंह, पवन, अब्दुल चौधरी, सुधीर चौधरी बाहुबली, सीमा चौधरी, पूनम चौधरी, अखिल चौधरी, अनुज चौधरी, रविंदर चौधरी, हरिंदर चौधरी, यीशु चौधरी, चिराग चौधरी, कुणाल चौधरी, अजीत सिंह, पिंटू, तनुज, बिल्लू, चमन, अजीत, अंकित, अमित, सेंसरपाल, टिल्लू, जवाहर सिंह, रिजवान, अंसार, राजेश, अरशद, अखलाक, सलीम चौधरी, सचिन प्रधान, दीपक कसाना, अनुज त्यागी, सल्तनत, बच्चू, प्रदीप सेन, धनीराम, जितेंद्र सिंह, पवन चौधरी, अमित ब्रह्मपाल, चौधरी संजीव, सत्येंद्र त्यागी, पप्पू नेहरा, राजेश चौधरी, कृष्ण पाल, रामकुमार, बबीता चौधरी, अमित, विकास कुमार, पप्पू चौधरी, संजय, रमेश, मंजू चौधरी और मनीषा चौधरी आदि सैंकड़ों किसान मौजूद रहे।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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