बॉलीवुड में वैसे तो बहुत से कमाल के एक्टर्स हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनको खुद में एक्टिंग की मास्टर क्लास कहा जा सकता है. एक ऐसे ही एक्टर हैं के के मेनन. के के का निभाया आप कोई भी किरदार उठाकर देख लीजिए, वो हर किरदार को इतनी खूबसूरती और करीने से निभाते हैं कि इस बात में फर्क करना मुश्किल हो जाता है कि वो किरदार निभा रहे हैं या फिर उस किरदार को पर्दे से निकालकर बाहर ले आए हैं. एक्टिंग करना सुनने में जितना आसान लगता है असल में उतना है नहीं. ये बात के के मेनन ने एक बार बहुत अच्छी तरह से समझाई थी.
जियो सिनेमा के एक प्रोग्राम में एक्टिंग के मैकेनिज्म से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए के के मेनन ने एक्टिंग के स्केल और स्पेक्ट्रम पर बात की. उन्होंने बड़े ही आसान से शब्दों में ये बात समझाई कि एक्टिंग असल में किस चिड़िया का नाम है. उन्होंने समझाया कि एक एक्टर को किस बात का सबसे ज्यादा फायदा मिलता है.
स्पेक्ट्रम से होकर गुजरता है इंसान
के के ने बताया कि हर एक इंसान एक स्पेक्ट्रम से होकर गुजरता है. ये पूरी दुनिया और आदमी की जिंदगी बिल्कुल एक स्केल की तरह है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति एक नोर्मल लाइफ जीता है तो वो इस पूरे स्पेक्ट्रम के बीच के एक छोटे से हिस्से को जीता है. उसे लगता है कि ये हिस्सा समाज को देखते हुए सही बैठता है और वो उसी के हिसाब से व्यवहार करता है. जो इस बात को नहीं करते वो स्पेक्ट्रम के हिसाब से बुरे साइड या फिर डार्क साइड में चले जाते हैं, और जो इसे ज्यादा अच्छे से मान लेते हैं वो आधात्यामिक साइड में चले जाते हैं. ऐसे करके हर इंसान के अंदर तीन साइड होती हैं. पहली मिडिल वाली, दूसरी डार्क साइड और तीसरी आधात्यामिक.
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एक्टर को मिलती है इस बात की सुविधा
के के ने आगे अपनी बात को समझाते हुए बताया कि एक एक्टर के पास ये प्रिविलेज होती है कि अपने व्यक्तित्व की इन तीनों साइड्स को एक्सप्लोर कर सकता है. एक्टिंग में किसी भी तरह का समाज का बंधन नहीं रह जाता. एक्टर डार्क से डार्क और पॉजिटिव से पॉजिटिव साइड को एक ही जिंदगी में जी सकता है, एक्सप्लोर कर सकता है. उन्होंने कहा कि वो अपने अंदर का सबसे डार्कर साइड लोगों के सामने दिखा सकता है और उसके लिए यही पब्लिक तालियां भी बजाती है.
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