लोकतांत्रिक देश में विरोध करना सभी का अधिकार होता है. ये लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है, क्योंकि यह जनता की आवाज को शासन तक पहुंचाने का सबसे प्रभावी माध्यम है. इन दिनों यूरोप महाद्वीप का सर्बिया विरोध प्रदर्शन के लिए काफी चर्चा में है. विरोध के तौर पर यहां के लोग हर दिन स्थानीय समयानुसार 11:52 बजे पूरे देश में गाड़ियों का आना-जाना 15 मिनट के लिए रोक दिया जाता है.
दसअसल, नवंबर में नोवी साद के रेलवे स्टेशन का एक हिस्सा गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया. दुर्घटना के बाद बेलग्रेड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया, जो धीरे-धीरे 50 से अधिक विश्वविद्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों तक फैल गया.
प्रदर्शन में तब्दील हुआ आंदोलन
रविवार को बेलग्रेड की सड़कों पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने हाथों में मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर और 15 मिनट का मौन रखकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी. प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन की छत गिरने को भ्रष्टाचार और खराब रखरखाव का नतीजा मानते हैं, क्योंकि इस स्टेशन की मरम्मत हाल ही में चीन की सरकारी कंपनियों ने की थी.
सरकार पर बढ़ता दबाव
प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशन हादसे से जुड़े सभी दस्तावेजो को सार्वजनिक करने और प्रधानमंत्री एवं नोवी साद के मेयर के इस्तीफे की मांग की है. सरकार ने 195 दस्तावेज प्रकाशित किए हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी 800 दस्तावेजो की मांग कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि वित्तीय ब्योरे से जुड़े अहम दस्तावेज गायब हैं. बेलग्रेड यूनिवर्सिटी की सिविल इंजीनियरिंग फैकल्टी ने भी प्रकाशित दस्तावेजो की समीक्षा करते हुए कहा कि उनमें महत्वपूर्ण जानकारियां नहीं हैं.
विरोध प्रदर्शन को मिल रहा समर्थन
प्रदर्शन अब केवल छात्रों तक सीमित नहीं है. किसान, स्वास्थ्यकर्मी, कलाकार, शिक्षक और आम नागरिक भी इसमें शामिल हो गए हैं. कुछ शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए स्कूल की पढ़ाई के समय को कम कर दिया है. हाई स्कूल और प्राथमिक स्कूल के छात्र भी बड़ी संख्या में इन प्रदर्शनों का हिस्सा बन रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय ने बढ़ते हंगामे को देखते हुए स्कूलों में ठंड की छुट्टियों की घोषणा कर दी है.
सर्बिया के राष्ट्रपति का बयान
सरकार ने दावा किया है कि उसने प्रदर्शनकारियों की अधिकांश मांगें मान ली हैं और हादसे की जांच शुरू कर दी है. राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसीक ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे प्रदर्शनकारियों की बात सुनने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने इस आंदोलन में विपक्षी मानसिकता वाले लोगों के शामिल होने का आरोप भी लगाया. इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांगों को अब तक पूरी तरह से नहीं माना गया है.
कितना असरदार आंदोलन
सर्बिया में भ्रष्टाचार और जवाबदेही की मांग को लेकर उठी यह आवाज अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले चुकी है. ‘ब्लडी हैंड्स’ और ‘करप्शन किल्स’ जैसे नारों के साथ प्रदर्शनकारी सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं. यह प्रदर्शन न केवल एक आक्रोश और लोगों का गुस्सा नहीं है, बल्कि यह सर्बियाई समाज में व्यापक बदलाव की हवा भी है. माना जा रहा है, जब तक प्रदर्शनकारियों की सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह विरोध थमने की संभावना नहीं है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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