अफगानिस्तान में जहां महिलाओं की आजादी को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते हैं, वहीं एक बार फिर देश में महिलाओं के एनजीओ (NGO) में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अफगानिस्तान में जहां तालिबान के राज में महिलाओं के लिए एक के बाद एक ऐसे कई नियम बनाए जा रहे हैं, वहीं चलिए देखते हैं कि पूरी दुनिया में महिलाओं को काम करने की कितनी आजादी मिलती है.
हाल ही में अफागिस्तान की तालिबान सरकार के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय किसी भी तरह के एनजीओ में महिलाएं काम नहीं कर सकेंगी. साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर इस आदेश का एनजीओ ने पालन नहीं किया तो एनजीओ को बंद कर दिया जाएगा. इससे पहले भी देश में लगातार महिलाओं को लेकर सख्त नियम जारी किए गए हैं, जिसके तहत बिना किसी पुरुष और परदे के वो घर से बाहर नहीं निकल सकती, पब्लिक में बात नहीं कर सकती. साथ ही टीवी और रेडियो पर भी महिलाओं की आवाज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
महिलाओं को काम करने की कितनी आजादी
काम करने की आजादी की बात करते हैं तो पहला सवाल आता है कि वो कौन सा देश है जहां सबसे ज्यादा तादाद में महिलाएं काम करती हैं. Statista के मुताबिक, 2022 में आइसलैंड में जितनी आबादी है उस हिसाब से सबसे ज्यादा तादाद में इसी देश में महिलाएं काम कर रही हैं. आईसलैंड में 81 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में वर्किंग हैं. इसी के बाद सैन मैरिनो में महिला रोजगार दर 80 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है.
Worldbank के जेंडर डाटा के मुताबिक, साल 2023 में अमेरिका में महिला रोजगार दर 56.5 दर्ज किया गया, मुस्लिम देश यूएई में यह 55.4 दर्ज किया गया, सऊदी अरब में 34.5, कतर में 64.1%, पाकिस्तान में 24.5%, ईरान में 14.4%, इराक में 11.4% और भारत में 32.7% दर्ज किया गया है.
अभी भी महिलाओं का संघर्ष जारी
वर्ल्ड बैंक की (Woman, Business And The Law 2024) रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं काम करने के बावजूद पुरुषों से कम कमाती हैं. पुरुषों को भुगतान किए गए प्रत्येक डॉलर पर महिलाएं केवल 77 सेंट कमाती हैं. 92 देशों में एक से काम के लिए एक सी सैलरी नहीं मिलती है. वहीं, 20 देशों में महिलाओं के रात को काम करने पर रोक लगी हुई है और 45 देशों में खतरनाक माने जाने वाली नौकरियों में महिलाओं को काम करने से रोका जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 62 देशों में, पुरुषों और महिलाओं के रिटायर होने की उम्र एक सी नहीं है. पुरुषों की तुलना में महिलाएं पहले रिटायर हो रही हैं. वहीं, पॉजिटीव बात यह है कि कई देशों में महिलाओं के लिए Flexible Work Arrangements भी हैं.
महिलाओं को काम करने पर कई शर्तें
वर्ल्ड बैंक की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 2.4 बिलियन वर्किंग एज की महिलाओं को काम करने का मौका नहीं मिलता है. वर्ल्ड बैंक की महिला, व्यवसाय और कानून 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, 86 देशों में महिलाओं को किसी न किसी तरह की नौकरी में प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है और 95 देश समान काम के लिए समान सैलरी की गारंटी नहीं देते हैं.
Women, Business and the Law की साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, 173 देशों में से 18 देशों में महिलाओं के प्रति लीगल भेदभाव देखा गया है. वहीं, रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया कि 18 देशों में, विवाहित महिलाओं को अपने पति की इजाजत के बिना नौकरी नहीं मिल सकती है. वो 18 देश हैं, बहरीन, बोलीविया, कैमरून, चाड, कांगो, गैबॉन, गिनी, ईरान, जॉर्डन, कुवैत, मॉरिटानिया, नाइजर, कतर, सूडान, सीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, पश्चिम बैंक और गाजा और यमन.
वर्किंग महिलाओं के लिए बदल रही दुनिया
कई देशों में वर्किंग महिलाओं के लिए चीजें आसान और बेहतर करने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए गए हैं.
आर्मीनिया- आर्मेनिया ने महिलाओं को जॉब में यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून बनाया है.
अजरबैजान – अजरबैजान ने इंडस्ट्री और खतरनाक नौकरियों में भी महिलाओं को काम करने की इजाजत दी है.
जॉर्डन- जॉर्डन ने जॉब में जेंडर आधारित भेदभाव पर रोक लगाई और कानून बनाया.
मलेशिया- मलेशिया ने इंडस्ट्री नौकरियों में महिलाओं के नौकरी करने पर लगा बैन हटा दिया है. साथ ही देश ने पेड मेटरनिटी लीव को भी 60 दिन से बढ़ाकर 98 दिन कर दिया है और गर्भवती कर्मचारियों को ऑफिस से निकालने पर रोक लगा दी है.
कतर- कतर ने महिलाओं और पुरुषों की रिटायर होने की उम्र को एक कर दिया है. साथ ही दोनों को ही पेंशन के लाभ देने का प्रावधान भी शुरू किया गया है.
इस रिपोर्ट में कई सारी चीजें सामने रखी गई है जिनको समझ कर अगर हम नतीजे पर आए तो यहीं समझ आता है कि महिलाओं ने अपनी पहचान बनाने के लिए, अपनी मर्जी से जीने के लिए, घर से बाहर निकल कर काम करने के लिए एक लंबी जंग लड़ी है, लेकिन अभी यह जंग खत्म नहीं हुई है, बल्कि काफी लंबे समय से चल रही है यह जंग अभी बाकी है. महिलाएं लगातार आगे बढ़ रही है और धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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