आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के दंगल में आम आदमी पार्टी ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. आप ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं. इनमें से 5 सीटें तो ऐसी भी हैं, जहां पर हर चुनाव में पार्टी अपने उम्मीदवारों को बदल देती है. ये सीटें तिमारपुर, रोहिणी, मटिया महल, सीलमपुर और मुंडका की हैं. इन 5 में से 4 सीटों पर तो उम्मीदवार बदले का प्रयोग सफल रहा है, लेकिन एक सीट पर आप उम्मीदवार बदलने के बावजूद सफल साबित नहीं हो पाई है.
आइए इस स्टोरी में दिल्ली विधानसभा की इन्हीं 5 सीटों की कहानी विस्तार से पढ़ते हैं…
1. मटिया महल पर घोषित उम्मीदवार बदले
मटिया महल सीट पर आम आदमी पार्टी ने हाल ही में शोएब इकबाल को उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन अब उनकी जगह आले मोहम्मद को टिकट दिया गया है. आले मोहम्मद शोएब इकबाल के बेटे हैं. मटिया महल सीट पर 2013 में आप ने शकील अंजुम को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाए.
2015 में असीम अहमद खान को आप ने उम्मीदवार बनाया और खान जीतने में कामयाब रहे. खान को केजरीवाल ने अपने कैबिनेट में भी रखा. उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग का जिम्मा सौंपा गया, लेकिन 2020 के चुनाव में असीम का टिकट काट दिया गया.
2020 में आप ने शोएब इकबाल को यहां से टिकट दिया. शोएब जीतने में कामयाब रहे. इस बार भी यहां से पार्टी ने शोएब को टिकट देने का फैसला किया, लेकिन आखिरी वक्त में उनके बेटे आले को उम्मीदवार बनाया गया है.
मटिया महल की सीट मुस्लिम बहुल है. पिछले चुनाव में आप को यहां से 50 हजार वोटों की बड़ी मार्जिन से जीत मिली थी.
2. जाट बहुल मुंडका में भी उम्मीदवार बदले गए
आम आदमी पार्टी ने जाट बहुल मुंडका में भी उम्मीदवार बदल दिए हैं. यहां भी 2013 से अब तक के हर चुनाव में आप की तरफ से उम्मीदवार बदला गया है. 2013 में कृष्ण कुमार को आप ने मैदान में उतारा था, लेकिन वे इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे.
2015 में सुखबीर सिंह दलाल को टिकट दिया गया और वे जीतकर सदन पहुंच गए. 2020 में दलाल की जगह धर्मपाल लाकड़ा को टिकट दिया गया और वे भी मुंडका से जीतकर सदन पहुंच गए. इस बार धर्मपाल की जगह जसबीर कालरा को टिकट दिया गया है.
मुंडका सीट नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के अधीन है. यहां पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बढ़त मिली थी. जाट बहुल मुंडका सीट 2008 में अस्तित्व में आया था. 2008 में यहां से बीजेपी को जीत मिली थी.
3. हॉट सीट तिमारपुर का भी यही हाल
तिमारपुर सीट पर भी आम आदमी पार्टी हर बार उम्मीदवार बदल देती है. 2013 में इस सीट से हरीश खन्ना को उम्मीदवार बनाया था. खन्ना ने इस चुनाव में सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को हराया था. बिट्टू इस चुनाव में तीसरे नंबर पर चले गए थे.
2015 में खन्ना की जगह आप ने योगेंद्र यादव के करीबी पंकज पुष्कर को तीमारपुर सीट से उम्मीदवार बनाया. पुष्कर इस चुनाव में जीतकर विधायक बन गए, लेकिन 2020 के चुनाव में पुष्कर का भी टिकट कट गया.
पुष्कर की जगह आप ने दिलीप पांडेय को यहां से मैदान में उतार दिया. पांडेय करीब 24 हजार वोट से जीतकर विधानसभा पहुंच गए. इस चुनाव में पांडेय ने खुद से ही दावेदारी वापस ले ली, जिसके बाद सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को यहां से टिकट दिया गया है.
4. रोहिणी सीट पर भी उम्मीदवार बदले
रोहिणी विधानसभा सीट पर भी आम आदमी पार्टी हर चुनाव में उम्मीदवार बदल देती है. 2013 में रोहिणी सीट से राजेश गर्ग को टिकट दिया गया था. जय भगवान अग्रवाल को हरा दिया. 2015 में आप ने यहां से उम्मीदवार बदल दिए. गर्ग की जगह सीएल गुप्ता को टिकट दिया गया, लेकिन बीजेपी के बीजेंद्र गुप्ता से वे हार गए.
2020 में आप ने राजेश बंसीवाला को यहां से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे भी चुनाव नहीं जीत पाए. बीजेंद्र गुप्ता ने बंसीवाला को करीब 12 हजार वोटों से हराया. 2025 में आप ने यहां से प्रदीप मित्तल को टिकट दिया है.
मित्तल का मुकाबला यहां बीजेंद्र गुप्ता से ही संभव है. हालांकि, बीजेपी ने अभी तक आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
5. सीलमपुर में भी हर बार उम्मीदवार बदले
सीलमपुर सीट पर भी आम आदमी पार्टी ने 2013 से अब तक हर चुनाव में उम्मीदवार बदला है. 2013 के चुनाव में आप ने मसूद अली खान को सीलमपुर सीट से टिकट दिया था. मसूद इस चुनाव में चौथे नंबर पर रहे थे.
2015 में आप ने इशराक को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया. इशराक सीलमपुर सीट से जीतकर विधानसभा जाने में कामयाब हुए. 2020 में अब्दुल रहमान को यहां से आप का सिंबल मिला. वे भी जीतकर विधानसभा पहुंचे.
2025 के चुनाव में आप ने रहमान का टिकट काटकर जुबैर अहमद को उम्मीदवार बनाया है. जुबैर कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद के बेटे हैं.
– India Samachar
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