जब भी टीवी पर सबसे लंबे समय तक चलने वाले क्राइम थ्रिलर शो की बात होती है तो उसमें सबसे ऊपर सोनी टीवी के शो CID का नाम होता है. जैसे ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ शो के बार में एक बात मशहूर है कि इस शो की पॉपुलैरिटी इस कदर है कि इस शो के चाहने वाले खाना खाते वक्त इस शो को देखना खूब पसंद करते हैं. कुछ ऐसा ही क्रेज ‘सीआईडी’ का भी था. साल 1998 में शुरू हुआ ‘सीआईडी’ धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था, जिसे देखे बिना ऐसा लगता था कि कुछ तो छूट रहा है. हालांकि, समय के साथ इसकी पॉपुलैरिटी में थोड़ी कमी भी आई थी, क्योंकि मेकर्स सस्पेंस क्रिएट करने में फेल होने लगे थे और लोग आगे की कहानी आसानी से इमेजिन कर पा रहे थे.
इन बातों का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एसीपी प्रद्यूमन अपने जय-वीरू यानी दया और अभिजीत के साथ वापस आ चुके हैं. मतलब, ‘सीआईडी’ का दूसरा सीजन शुरू हो चुका है. 21 दिसंबर को इस शो का पहला एपिसोड ऑन एयर हुआ. अब जो लोग ‘सीआईडी’ के फैन्स ठहरे, उन्होंने पहले दिन ही इस शो को देख लिया होगा. यही वजह है कि रिलीज के बाद से ही सोशल मीडिया पर इस शो का नाम ट्रेंड कर रहा है और फैन्स एक्साइटेड नजर आ रहे हैं. लेकिन यहां पर सवाल उठता है कि क्या ‘सीआईडी’ लोगों की उम्मीदों पर खरी उतर पाई है? 6 साल बाद वापस लौटी ‘सीआईडी’ में कितना दम है? चलिए शो के पहले एपिसोड के आधार पर आज इसी तरह के सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
कमजोर कहानी और सस्पेंस की कमी
तारीख 21 दिसंबर. जैसे ही रात के 10 बजे, तमाम सीआईडी फैन्स की तरह मैं भी टीवी स्क्रीन के सामने बैठ जाता हूं. शो शुरू होता है, दया और अभिजीत का फेस ऑफ दिखाया जाता है. अभिजीत दया को मार देता है. इस सीक्वेंस को देखकर आगे क्या होगा ये जानने के लिए उत्सुकता तो होती ही है, लेकिन मेकर्स उस उत्सुकता को बरकरार नहीं रख पाते हैं. कुछ ही मिनटों में दया जिंदा हो जाता है. इस शो में कैरेक्टर का जिंदा बच जाना कोई नई बात नहीं है. हालांकि, गोली लगने से वापस बचकर आने तक, जो सस्पेंस और थ्रिलर ये शो पहले देता था, उस सस्पेंस की पहले एपिसोड में कमी नजर आई है.
एक वक्त था जब इस शो की पॉपुलैरिटी बस इस वजह से कम होने लगी थी, क्योंकि लोगों को आगे की कहानी समझ में आने लगी थी. हालांकि इस बार ऐसा भी नहीं है. आप जो इमेजिन करते हैं कि हां अब ऐसा हो सकता, वैसा हो सकता है, कहानी का स्तर उससे भी नीचे है. आप जितना मजबूत प्लॉट इमेजिन करते हैं, मेकर्स उससे भी कमजोरी स्क्रिप्ट आपके सामने पेश करते हैं. अगर आप मन में कुछ थ्रिलिंग देखने की उम्मीद लेकर बैठते हैं तो इस एपिसोड को देखते हुए आपके मन में एक ऐसी फीलिंग जरूर आएगी कि मेकर्स ने जल्दबाजी में पहला एपिसोड तैयार किया है.
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कमजोर केस सॉल्विंग स्किल्स
जब सीआईडी की टीम केस सॉल्व करने के लिए अलग-अलग तरह के पैतरे का इस्तेमाल करती थी तो वो देखकर फैन्स इस शो की तरफ और बंधते थे. हालांकि, दूसरे सीजन के पहले एपिसोड में केस सॉल्विंग स्किल्स की भी कमी नजर आती है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, जब आप एपिसोड देखेंगे तो आपको खुद ये बात समझ आएगी.
इस चीज ने जीता दिल
हां, इस शो में अगर कोई चीज सबसे अच्छी लगी है तो वो है दया और अभिजीत की एंट्री. जब दोनों एक साथ सीआईडी ब्यूरो में वापस आते तो वो नजारा ऐसा है कि सीईडी के फैन्स वो देखकर सीटी बजाने लगें.
इंतजार में गुजरे 52 मिनट
टीवी ऐड को छोड़कर पहला एपिसोड लगभग 52 मिनट का है. पहले भी एक एपिसोड का रनटाइम लगभग इतना ही हुआ करता था. हालांकि, पहले के वो 50-52 मिनट ऐसे होते थे कि लोग टीवी स्क्रीन के साथ बंध जाते थे. हालांकि, कमजोर और सस्पेंसफुल कहानी न होने की वजह से ये 52 मिनट भी बोरिंग लगते हैं. और आप इस इंतजार में होते हैं कि अब शो में कुछ सस्पेंस होगा, अब कुछ ट्विस्ट आएगा, अब कुछ थ्रिलिंग होगा, लेकिन इस इंतजार में ही पहले एपिसोड का दी एंड हो जाता है. और मन में एक आस बाकी रहती है कि शायद अगले एपिसोड में हमें हमारी पुरानी मजबूत ‘सीआईडी’ टीम वापस मिले
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