अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन में सैन्य और सुरक्षा विकास से जुड़ी वार्षिक रिपोर्ट अमेरिका कांग्रेस के सामने पेश की है. पेंटागन की 182 पन्नों की इस रिपोर्ट में चीन के सैन्य लक्ष्यों से लेकर सेना में फैले भ्रष्टाचार और बीजिंग की न्यूक्लियर पावर की प्रगति के बारे में जानकारी दी गई है.
पेंटागन ने अपनी इस सालाना रिपोर्ट में चीन की सेना और शी जिनपिंग सरकार की वैश्विक नीति से जुड़े कई मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण पेश किया है. अमेरिका, जो मिडिल ईस्ट में इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी है उसके रक्षा विभाग का मानना है कि चीन भले ही मिडिल ईस्ट में उलझने से बचने की रणनीति अपनाता है लेकिन वह ईरानी प्रॉक्सी गुटों के साथ संतुलित संबंध भी बनाए हुए है.
पेंटागन की इस रिपोर्ट में मिडिल ईस्ट में चीन की रणनीति को लेकर और क्या-कुछ दावे किए गए हैं जानिए.
ईरानी प्रॉक्सी के साथ चीन का संतुलित जुड़ाव!
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, चीन अपने व्यापक क्षेत्रीय हितों को ईरानी प्रॉक्सी के साथ सीमित जुड़ाव के साथ संतुलित करता है, जैसे लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती, इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया समूह. सीरिया में चीन के विशेष दूत सहित बीजिंग के अधिकारियों ने 2016 में सीरियाई गृहयुद्ध पर चर्चा करने के लिए हिजबुल्लाह अधिकारियों के साथ सार्वजनिक रूप से मुलाकात की थी, लेकिन इस तरह की मुलाकातें लगभग निश्चित रूप से औपचारिक हैं और चीन इन मुलाकातों को इस तरह पेश करता है कि जैसे कि वह एक जिम्मेदार महाशक्ति है, न कि इस तरह कि वह इन समूहों के साथ संबंधों का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है.
हूती विद्रोहियों के खिलाफ चीन चुप- पेंटागन
पेंटागन का कहना है कि, चीनी अधिकारियों ने शायद यह कैलकुलेश किया है कि ईरानी प्रॉक्सी, विशेष तौर पर इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों के साथ सार्वजनिक रूप से या खुले तौर पर संबंधों का विस्तार करने से क्षेत्रीय सरकारें अलग-थलग पड़ जाएंगी और मिडिल ईस्ट में उलझने से बचने की चीन की नीति बाधित होगी. फिर भी, चीन ने इनमें से कुछ प्रॉक्सी की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने से परहेज किया है, खासतौर पर यमन के हूती समूह की.
अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने लाल सागर में शिपिंग पर हमलों के लिए हूती और ईरानी समर्थन को दोषी ठहराने से परहेज किया है, इसके बजाय वह लाल सागर में व्यवधान को गाजा में इजरायली सैन्य गतिविधि का नतीजा बताता है. यही नहीं चीन ने यमन में अमेरिकी हमलों की आलोचना की है. हालांकि हूती विद्रोही समूह, मिसाइल और UAV निर्माण के लिए दोहरे उपयोग वाले कंपोनेंट और डिवाइसेज की आपूर्ति और सुविधा के लिए चीन-आधारित आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर हैं.
असद शासन के साथ चीन के संबंधों का जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन ने सीरिया में असद शासन के साथ राजनयिक, आर्थिक और कुछ सुरक्षा संबंध बनाए रखे हैं. 2016 से, सीरिया में चीन के विशेष दूत ने असद शासन को राजनीतिक समर्थन देने, गृह युद्ध, मानवीय सहायता, पुनर्निर्माण और आतंकवाद का राजनीतिक समाधान करने पर बीजिंग के प्रयासों को केंद्रित किया है. 2022 में चीन ने BRI (बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव) में शामिल होने के लिए सीरिया के साथ एक समझौता किया, जबकि सीरिया में कोई महत्वपूर्ण BRI इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं देखा गया है.
शांति का पैरोकार दिखने की कोशिश- पेंटागन
इजराइल-हमास संघर्ष के शुरू होने के बाद से, चीन ने खुद को इस क्षेत्र में शांति के पैरोकार के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की है और फिलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन में ग्लोबल साउथ के साथ गठबंधन किया है. प्रेस बयानों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, चीन ने बार-बार गाजा में तत्काल युद्धविराम और फिलिस्तीनी संकट के लिए ‘टू-स्टेट’ समाधान की ओर ले जाने वाली बातचीत की अपील की है. नवंबर 2023 में UN में रोटेशनल अध्यक्षता संभालने के दौरान चीन ने गाजा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यवाही का केंद्र बिंदु बनाया, हालांकि बीजिंग ने इस संघर्ष में प्रत्यक्ष राजनयिक और सैन्य भूमिका निभाने से परहेज किया है.
चीन के रुख को लेकर बड़ा दावा
अमेरिकी रक्षा विभाग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन ने मिडिल ईस्ट में संघर्ष की आग को हवा देने के लिए गाजा में इजरायल की प्रतिक्रिया के लिए अमेरिकी समर्थन की सीधे तौर पर आलोचना की है और कहा है कि गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयां इजरायल के सेल्फ-डिफेंस के अधिकार से परे हैं.
चीन रेड-सी में शिपिंग पर मंडरा रहे संकट को इजरायल से जुड़ा हुआ मानता है. इसके अलावा चीन, लाल सागर में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों की आलोचना करता रहा है क्योंकि उसका मानना है कि इससे क्षेत्रीय असुरक्षा को बढ़ावा मिलता है.
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, लाल सागर में अमेरिका के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय शिपिंग संरक्षण गठबंधन का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हुआ, इसके बाद, इसकी शिपिंग लागत बढ़ गई क्योंकि अंतरराष्ट्रीय शिपिंग ने वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना शुरू कर दिया और लाल सागर के जरिए शिपिंग से परहेज किया. हालांकि ईरान के साथ अच्छे संबंधों के बावजूद बीजिंग हूती विद्रोहियों को अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमला करना बंद करने के लिए मजबूर करने में नाकाम रहा है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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