चंपई सोरेन और हेमंत सोरेन
झारखंड की सत्ता में वापसी करने के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक और झटका देने की तैयारी में है. जेएमएम अपने उन नेताओं को वापस लाने के प्लान पर काम कर रही है, जो चुनाव से पहले दल छोड़ गए थे. लिस्ट में पूर्व सीएम चंपई सोरेन का नाम सबसे आगे है.
चंपई सोरेन चुनाव से ठीक पहले जेएमएम छोड़ बीजेपी में चले गए थे. कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन अब ममता बनर्जी की तरह अपने सभी दिग्गज नेताओं की वापसी कराने में जुटे हैं. 2021 में बंगाल में जीत दर्ज करने के बाद ममता ने टीएमसी से बीजेपी में गए कई बड़े नेताओं की वापसी करा ली थी.
चंपई सोरेन के नाम की चर्चा क्यों?
चंपई सोरेन वर्तमान में सरायकेलां विधानसभा सीट से विधायक हैं. चंपई झारखंड के पूर्व सीएम और जेएमएम के संस्थापक सदस्य रहे हैं. इस बार आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 में से सिर्फ एक सीट पर जेएमएम गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है. वो सीट चंपई सोरेन की सरायकेला है.
झारखंड चुनाव के बाद जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने उनकी वापसी को लेकर बयान दिया है. सुप्रियो ने कहा कि अगर चंपई दादा आना चाहते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे. जेएमएम का दरवाजा उनके लिए खुला रहेगा.
चुनाव प्रचार में हमलावर नहीं रहे दोनों
चुनाव प्रचार के दौरान भी हेमंत सोरेन चंपई पर हमलावर नहीं रहे. दूसरी ओर पूरे चुनाव में चंपई भी हेमंत और सोरेन परिवार पर निजी हमला करने से बचते रहे.
इतना ही नहीं, शुक्रवार को बिरसा मुंडा के परपोते की रांची के रिम्स अस्पताल में मौत हो गई. वे एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद यहां भर्ती किए गए थे. बीजेपी ने इस मामले में अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
बाबू लाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा तक ने इस मामले में सरकार की घेराबंदी की है, लेकिन चंपई पूरे मामले में सरकार पर सवाल उठाते नजर नहीं आए.
चंपई को लेकर रांची के सियासी गलियारों में 2 तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं.
1. चंपई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा दिल्ली की राजनीति का ऑफर देकर उनकी सीट सरायकेलां से उनके बेटे को विधायक बनवा सकती है. चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन घाटशिला सीट से इस बार बीजेपी के सिंबल पर उतरे थे, लेकिन चुनाव हार गए.
2. चंपई पहले की तरह ही जेएमएम में शामिल होकर हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री बन जाएं.
पहले भी होती रही नेताओं की वापसी
साल 2014 के चुनाव में साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ बीजेपी में चले गए थे. दोनों नेताओं की गिनती जेएमएम के भीतर कद्दावर नेताओं में होती थी. 2019 से पहले जेएमएम ने दोनों नेताओं की वापसी करा ली.
हाल ही में बहरगोड़ा विधानसभा के पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी की वापसी हुई है. षाडंगी को एक वक्त में हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता था. 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले षाडंगी जेएमएम छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे.
इन नेताओं ने भी थामा था बीजेपी का दामन
झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की एक लंबी लिस्ट है. शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन लोकसभा से पहले बीजेपी में शामिल हो गई थीं. सीता दुमका से लोकसभा और जामताड़ा से विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं.
इसी तरह विधानसभा चुनाव से पहले बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी जेएमएम छोड़ बीजेपी में आ गए थे. हालांकि, हेम्ब्रम भी बोरियो सीट से चुनाव नहीं जीत पाए.
लिट्टीपाड़ा सीट के पूर्व विधायक दिनेश विलियम मरांडी भी जेएमएम छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी लिट्टीपाड़ा में भी नहीं जीत पाई.
– India Samachar
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