महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम नहीं बन पाते हैं मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी, इसे लेकर मुंबई से लेकर दिल्ली तक माथापच्ची जारी है. एकनाथ शिंदे की दावेदारी वापस लेने के बाद इस पद को लेकर सस्पेंस और ज्यादा बढ़ गया है. बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद का फ्रंटरनर माना जा रहा है, लेकिन महाराष्ट्र की सियासत का एक मिथक उनके पक्ष में नहीं है.
यह मिथक है महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम को मुख्यमंत्री की कुर्सी न मिलने का. महाराष्ट्र में अब तक पिछले 46 साल में 9 नेताओं को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली है, लेकिन इनमें से कोई भी सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए.
शुरुआत नासिक राव त्रिपुडे से
1978 में कांग्रेस के वसंतदादा पाटिल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने अपने कैबिनेट में कद्दावर नेता नासिक राव त्रिपुडे को डिप्टी बनाया. त्रिपुडे उस वक्त भंडारा विधानसभा के विधायक थे. त्रिपुडे 3 महीने तक ही डिप्टी सीएम की कुर्सी पर रह पाए.
1978 में शरद पवार की सरकार बनने के बाद त्रिपुडे को पद छोड़ना पड़ गया. त्रिपुडे इसके बाद कांग्रेस के संगठन की राजनीति में चले गए. उन्हें पार्टी ने महाराष्ट्र में अध्यक्ष नियुक्त किया.
1983 में त्रिपुडे के सीएम बनने की भी चर्चा खूब हुई, लेकिन वसंतदादा पाटिल से वे पिछड़ गए. इसके बाद त्रिपुडे कभी मुख्यधारा की राजनीति में नहीं लौट पाए.
सुंदरराव भी नहीं बन पाए सीएम
शरद पवार जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने कैबिनेट में समीकरण साधने के लिए सुंदरराव सोलंके को डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी. सोलंके एक साल से ज्यादा इस पद पर रहे, लेकिन पवार की कुर्सी जाते ही सोलंके साइड लाइन हो गए.
सोलंकी परली और बीड के कद्दावर नेता थे. 2014 में उनका निधन हो गया.
लिस्ट में रामराव आदिक का भी नाम
1983 में कांग्रेस के वसंतदादा पाटिल जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने रामराव अदिक को डिप्टी सीएम बनवाया. अदिक मुंबई कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. उस वक्त आदिक को डिप्टी सीएम बनाने के पीछे शिवसेना को बैकफुट पर धकेलने की रणनीति थी.
आदिक मशहूर वकील थे और अपने तर्कों की वजह से जाने जाते थे. वे 1985 तक डिप्टी सीएम की कुर्सी पर रहे. कई बार उनके सीएम बनने की चर्चा हुई, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी तक वे नहीं पहुंच पाए.
गोपीनाथ की भी नहीं गली दाल
1995 में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन की सरकार महाराष्ट्र में बनी. शिवसेना को मुख्यमंत्री और बीजेपी को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिली. बीजेपी ने गोपीनाथ मुंडे को उपमुख्यमंत्री के लिए नामित किया. मुंडे करीब 5 साल तक इस पद पर रहे.
1999 के चुनाव में शिवसेना गठबंधन की हार हो गई और बीजेपी सरकार से बाहर हो गई. मुंडे इसके बाद केंद्र की राजनीति में आ गए. 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो मुंडे को केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
छगन भी नहीं पहुंच पाए वर्षा बंगला
1999 में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई. कांग्रेस को सीएम की कुर्सी और एनसीपी को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली. शरद पवार ने छगन भुजबल को डिप्टी सीएम की कमान सौंप दी. छगन महाराष्ट्र में उस वक्त काफी लोकप्रिय थे.
ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले छगन सुशील शिंदे और विलासराव देशमुख सरकार में डिप्टी सीएम रहे. 2003 में एक आरोप के बाद भुजबल का पर कतर दिया गया. 2008 में उनकी वापसी जरूर कराई गई, लेकिन फिर भुजबल साइड लाइन हो गए.
भुजबल इसके बाद 10 सालों तक राजनीति के नेपथ्य में ही रहे. 2019 के बाद भुजबल की सियासी वापसी हुई. हालांकि, वे मंत्री पद तक ही सीमित रह गए.
विजय सिंह पाटिल भी डिप्टी ही रह गए
2003 में एनसीपी कोटे से विजय सिंह पाटिल को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी गई. पाटिल उस वक्त एनसीपी के कद्दावर नेता थे. पाटिल 2004 तक डिप्टी सीएम पद पर रहे. इसके बाद उनसे डिप्टी सीएम का पद ले लिया गया.
2014 में विजय सिंह पाटिल माढ़ा सीट से सांसद चुने गए.
आरआर पाटिल भी नहीं बन पाए सीएम
2004 में आरआर पाटिल को शरद पवार ने डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी. पाटिल सांगली जिले के कद्दावर नेता थे. उन्हें शरद पवार का विश्वस्त मान जाता था. पाटिल 2008 तक डिप्टी सीएम पद पर रहे.
2008 में मुंबई हमले के बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया. डिप्टी सीएम के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने भी इस्तीफा दिया था. आर आर पाटिल की राजनीति इसके बाद परवान नहीं चढ़ पाई.
वर्तमान में उनका बेटा सियासत में है और शरद पवार की तरफ से राजनीति कर रहे हैं.
अजित का इंतजार भी नहीं हो रहा खत्म
2010 में अजित पवार पहली बार डिप्टी सीएम बने. अजित अब तक पृथ्वीराज चव्हाण, देवेंद्र फडणवीस, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं. अजित कई बार मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन सियासी समीकरण और जनाधार की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है.
अजित के इस बार भी डिप्टी सीएम बनने की ही चर्चा है.
– India Samachar
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