अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पूरी दुनिया पर असर डाल सकते हैं, वर्ल्ड लीडर्स के साथ ट्रंप के रिश्ते कैसे होंगे इसे लेकर कयासों का दौर जारी है. ट्रंप युद्ध रुकवा पाएंगे या नहीं, ट्रंप की विदेश नीति क्या होगी, ईरान और चीन के साथ अमेरिका के कैसे संबंध होंगे इसे लेकर कई घंटों तक चर्चा की जा सकती है.
लेकिन ट्रंप की जीत भारत के ‘दुश्मनों’ पर क्या असर डालेगी? क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था. दरअसल मौजूदा समय में अगर पाकिस्तान को छोड़ दें तो भारत के 3 बड़े दुश्मन चीन, बांग्लादेश और कनाडा हैं.
भारत के 3 ‘दुश्मनों’ का जीना होगा दुश्वार!
जहां बांग्लादेश इस लिस्ट में जुड़ने वाला नया नाम है और उसकी भारत-विरोधी बगावत के पीछे अमेरिका का हाथ माना जा रहा था वहीं अब जब अमेरिका में कुछ ही महीनों में सत्ता परिवर्तन होने वाला है तो ऐसे में बांग्लादेश के साथ अमेरिका किस तरह पेश आएगा? उधर चीन को लेकर ट्रंप की रणनीति का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है, वह पहले कार्यकाल की तुलना में और सख्त रवैया अपना सकते हैं, वहीं कनाडा का खालिस्तानी एजेंडा यूं ही चलता रहेगा या फिर इस पर लगाम लगेगी?
नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?
भारत का पड़ोसी मुल्क, जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे. जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई तो वहीं मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भारत को आंख दिखाने की जुर्रत करने लगी. जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे.
कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था.बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो.
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की तस्वीर.
लेकिन डोनाल्ड ट्रंप, बांग्लादेश के साथ किस तरह पेश आएंगे इसके संकेत उन्होंने दिवाली के मौके पर की गई पोस्ट से दे दिया है. ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा और उनकी सुरक्षा का मुद्दा उठाया. उन्होंने अमेरिका ही नहीं दुनियाभर के हिंदुओं की रक्षा का वादा किया.
I strongly condemn the barbaric violence against Hindus, Christians, and other minorities who are getting attacked and looted by mobs in Bangladesh, which remains in a total state of chaos.
It would have never happened on my watch. Kamala and Joe have ignored Hindus across the
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) October 31, 2024
सबसे खास बात यह है ट्रंप, मौजूदा समय में बांग्लादेश के मुखिया बने मोहम्मद यूनुस को आंखे फूटे भी पसंद नहीं करते. आरोप हैं कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में यूनुस ने ट्रंप के खिलाफ फंडिंग की थी, जिसे लेकर ट्रंप उनसे खासे नाराज़ थे. पहला राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ट्रंप जब बांग्लादेश के एक प्रतिनिधिमंडल से मिले तो उन्होंने सबसे पहले यूनुस को लेकर ही सवाल किया था, ट्रंप ने पूछा था कि, ‘वो ढाका का माइक्रो फाइनेंसर कहां है?’ ट्रंप की इस नाराजगी भरे लहज़े से समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में वह बांग्लादेश के साथ कैसा रवैया अपनाएंगे.
चालबाज चीन के फिर आएंगे बुरे दिन?
चीन एशिया में भारत को अपना बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानता है, व्यापार ही नहीं बल्कि रणनीतिक तौर पर भी भारत दुनिया के लिए अहम बनता जा रहा है इससे उसी चिढ़ बढ़ने लगी है. इसके विपरीत चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं.
ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था. इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं. ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था. पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं. व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो.
चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है. ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा. चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था. उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी.
ट्रूडो का एजेंडा धरा का धरा रह जाएगा?
कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की स्थिति अच्छी नहीं है. उनकी अपनी ही पार्टी के नेता उनसे इस्तीफे की मांग कर चुके हैं और कहा जा रहा है कि पार्टी को अगला चुनाव उनके नेतृत्व में नहीं लड़ना चाहिए. घर में कई मुद्दों को लेकर घिरे ट्रूडो ने इनसे निकलने के लिए एक राजनीतिक दांव खेला जो अब उन पर उल्टा पड़ सकता है.
ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए. भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे. अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले, लिहाजा ट्रंप के आने से ट्रूडो को भारत विरोधी एजेंडे से अपने कदम पीछे खींचने होंगे. उन्हें खालिस्तान प्रेम को किनारे कर भारत के साथ बेहतर तरीके से पेश आना होगा.
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की संख्या काफी ज्यादा है और खालिस्तान समर्थक NDP ने ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. माना जा रहा है कि ट्रूडो ने खालिस्तानी वोट बैंक को साधने के लिए ही भारत विरोधी दांव खेला था, जो कि अब कामयाब होता नहीं दिख रहा.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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