Greater Noida News :
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक नारा दिया था कि यूपी में किसी किसान को परेशान नहीं किया जाएगा। हर किसान की समस्या का समाधान होगा, चाहे फिर वह कितनी भी पुरानी समस्या क्यों ना हो। नगर निगम और प्राधिकरण हर समस्या का समाधान करने के लिए तत्पर रहेगा, लेकिन योगी आदित्यनाथ के इस सपने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण काला दाग लग रहा है।
हाल-ए-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
अफसरों से इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते हो गई पिता की मौत, पीड़ित किसान ने सुनाई आपबीती@UPGovt @CMOfficeUP @OfficialGNIDA pic.twitter.com/X98JeJ2PzZ
— Tricity Today (@tricitytoday) May 10, 2024
लड़ते-लड़ते चप्पल घिस गई
ग्रेटर नोएडा के सैकड़ों किसान कई सालों से अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। लड़ाई लड़ते-लड़ते पांव की चप्पल भी घिस गई। ऐसे ही एक किसान ने अपनी आपबीती बताई है। जिस समय किसान ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में चक्कर लगाना शुरू किया था, उस समय उनका 3 साल का बेटा था। आज उस बेटे की शादी हो गई है और उसके भी बेटा हो गया है, लेकिन अभी तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से इंसाफ नहीं मिला है। लड़ाई लड़ते-लड़ते पिता की मौत हो गई। परिवार में कई बार गम और खुशी के माहौल आए, लेकिन अथॉरिटी वहीं के वहीं खड़ी हुई है।
56 बीघा जमीन प्राधिकरण को दी
खेड़ा चौहागपुर गांव के निवासी सतीश भाटी ने बताया, “मेरी बिसरख गांव में 56 बीघा जमीन थी। वर्ष 2007 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मेरी जमीन का अधिग्रहण कर लिया। अधिकरण के बदले 6% प्लॉट दिया जाता है। प्राधिकरण ने वादा किया था कि जल्द से जल्द किसानों को 6% प्लॉट दिया जाएगा, उनके जैसे सैकड़ों किसान है, जिनकी बिसरख गांव में जमीन गई थी।”
पिता बन गया दादा
सतीश भाटी ने बताया, “वर्ष 2007 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया और आज इन बातों को 17 साल हो गए हैं। उसके बावजूद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अभी तक 6% प्लॉट नहीं दिया है। जिस समय उनकी जमीन का अधिग्रहण हुआ था, उस समय उनका बेटा 3 साल का था। आज उनके बेटे की शादी हो गई है और उसके भी बच्चा है। मैं पिता से दादा बन गया, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से इंसाफ नहीं मिला।”
किसानों ने लगाई मदद की गुहार
पीड़ित किसान ने आगे बताया, “मेरे पिता दयाराम भाटी का निधन 2014 में हुआ था। वह 100 से अधिक बार 6 प्रतिशत प्लॉट के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण गए थे, लेकिन अधिकारी उनको बार-बार भगा देते थे। समय बदलता रहा और सीईओ भी बदलते रहे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। मेरे पिता इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, लेकिन हमें इंसाफ नहीं मिला। करीब 17 साल पुरानी लड़ाई आज भी हम लड़ रहे हैं, लेकिन कोई अधिकारी इसमें ध्यान नहीं दे रहा है। इसमें सीधे तौर प्राधिकरण के सीईओ से लेकर नीचे तक के अधिकारियों की लापरवाही है। अगर किसानों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा तो हम क्यों जमीन देंगे।”
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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