
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी
पिछले चुनाव में अमेठी में जो हुआ, क्या वो इस बार रायबरेली में हो सकता है? बीजेपी इसी तैयारी में जुटी है. बीजेपी ने इस बार भी अपना उम्मीदवार नहीं बदला है. जबकि कांग्रेस से इस बार राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी बहन प्रियंका गांधी ने प्रचार से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक संभाल लिया है. सोमवार को राहुल नामांकन के बाद पहली बार रायबरेली पहुंच रहे हैं. राहुल गांधी के रायबरेली पहुंचने से पहले रविवार को अमित शाह यहां पहुंचे.
पिछले दस सालों से अमित शाह ही बीजेपी की चुनावी रणनीति बनाते रहे हैं. यूपी से तो उनका स्पेशल लगाव रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए वे यहां के प्रभारी भी रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी में स्मृति ईरानी से हार गए थे. उस चुनाव में वो सबसे बड़ा उलटफेर था. इस बार अमित शाह फिर उसे रायबरेली में दोहराना चाहते हैं. रायबरेली कांग्रेस और गांधी नेहरू परिवार का गढ़ रहा है. पिछले चुनाव में सोनिया गांधी ने बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 1 लाख 67 हजार वोटों से हराया था.
रायबरेली में बीजेपी नेताओं की सामने आई थी नाराजगी
दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी ने फिर से टिकट दिया है. वे योगी सरकार में मंत्री हैं. टिकट की रेस में वैसे कई और नाम भी थे. दिल्ली से लेकर रायबरेली वाले नेता टिकट की आस में थे. टिकट तो दिनेश प्रताप को मिला कई बाकी कई नेता मुंह फुला कर चुनाव प्रचार से अलग रहे. रायबरेली में वैसे भी बीजेपी के अपने नेता कम हैं जो दमदार हैं वो बाहर से आए हैं.
दिनेश प्रताप कांग्रेस में रहे. मनोज पांडेय अभी भी तकनीकी रूप से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. अदिति सिंह भी कांग्रेस से बीजेपी में आई हैं. दिलचस्प ये है कि इन तीनों नेताओं में आपसी मतभेद हैं. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को लगातार ये शिकायत मिल रही थी बीजेपी कैंप में सब ठीक ठाक नहीं है. अदिति सिंह चुनाव प्रचार नहीं कर रही थीं. मनोज पांडेय भी रायबरेली के बदले अमेठी में ज्यादा एक्टिव थे.
पिछले हफ्ते नड्डा ने लखनऊ में की थी मीटिंग
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले हफ्ते लखनऊ में पार्टी नेताओं की मीटिंग बुलाई थी. उस बैठक में भी रायबरेली की शिकायत आई. अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह से मनोज पांडेय की पुरानी राजनीतिक रंजिश रही है. अखिलेश सिंह अपने जमाने में बाहुबली नेता थे. निर्दलीय ही रायबरेली से विधायक चुने जाते रहे. मनोज पांडे भी तीन बार के विधायक हैं. मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रहे.
सभी नेताओं को एक पिच पर ला दिया
दिनेश प्रताप सिंह और अदिति सिंह का पुराना झगड़ा रहा है. हाल में ही उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट कर बवाल मचा दिया था. पिता के साथ अपनी फोटो पोस्ट कर लिखा था कि उसूलों से समझौता नहीं हो सकता है. मनोज पांडेय और दिनेश प्रताप के रिश्ते खट्टे रहे हैं, लेकिन अमित शाह ने अब सभी नेताओं को एक पिच पर ला दिया है. वे रायबरेली पहुंचे तो मनोज पांडेय के घर भी गए.
एक तरफ दिनेश प्रताप तो दूसरी ओर मनोज पांडेय बैठे
अमित शाह मनोज पांडेय के घर ही नहीं गए बल्कि परिवार के साथ भोजन किया. दिनेश प्रताप भी मनोज के घर गए. अमित शाह के एक तरफ दिनेश प्रताप और दूसरी तरफ मनोज पांडे बैठे. ये फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है. रायबरेली की राजनीति में इसे चमत्कार ही समझिए. तो क्या अमेठी की तरह इस बार रायबरेली के चुनाव में किसी चमत्कारिक नतीजे की गुंजाइश है?
– India Samachar
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