दिल्ली एनसीआर के व्यवसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में जेनरेटर चलाने के लिए नए दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इन निर्देशों के मुताबिक अब केवल उन्हीं जेनरेटर को मंजूरी दी जाएगी जो दोहरे इंधन व्यवस्था वाले होंगे. वहीं ग्रैप नियम लागू होने के दौरान इन जेनरेटर पर भी प्रतिबंध लागू होगा. केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने जारी निर्देशों में बताया है कि नई व्यवस्था 15 मई से लागू किया जाएगा. इस व्यवस्था के दायरे में 800 किलोवॉट तक के जेनरेटर आएंगे.
आयोग की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर लगाम बहुत जरूरी है, लेकिन व्यापारिक, व्यवसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में चलने वाले जेनरेटर की वजह से इसपर रोकथाम काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे में डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल कम से कम करने के लिए नई व्यवस्था को लागू किया जा रहा है. इस व्यवस्था के तहत सभी व्यापारियों, व्यवसायियों और उद्यमियों को 15 मई तक का समय दिया गया है. कहा गया है कि इस अवधि से पहले वह अपने जेनरेटर में जरूरी बदलाव करा लें. इस तिथि के बाद दिल्ली एनसीआर में कहीं भी एकल इंधन वाले जेनरेटर को चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
क्या है दोहरे इंधन की फरमान
जिस प्रकार कारों और बसों में परंपरागत रूप से डीजल या पेट्रोल इंधन के साथ ही गैस का इस्तेमाल हो रहा है, ठीक उसी प्रकार जेनरेटरों में भी सीएनजी किट लगाकर इसे दोहरे इंधन के उपयुक्त बनाया जा सकता है. केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह डीजल जेनरेटर हैं. लेकिन इन जेनरेटर को गैस चालित बनाकर प्रदूषण की रोकथाम किया जा सकता है.
स्मॉग टावर पर जून के बाद फैसला
दिल्ली एनसीआर में स्मॉग टावर बढ़ाने को लेकर विचार विमर्श जारी है. हालांकि इस संबंध में जून महीने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. दरअसल अभी अध्ययन किया जा रहा है कि ये स्मॉग टावर कितने प्रभावी हैं. इस अध्ययन का फैसला जून के आखिर में आने की संभावना है. अभी तक दिल्ली कनाट प्लेस के पास बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्मॉग टावर लगाया गया है.
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