झारखंड में फिर एक बार मॉब लिंचिंग की घटना हुई है. लगभग एक दर्जन लोगों की भीड़ ने मिलकर एक युवक की टांगी (कुल्हाड़ी ) से काटकर हत्या कर दी. जिसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया है. बता दे कि गुमला जिले के जारी थाना क्षेत्र के गोविंदपुर पंचायत के तिगरा गांव निवासी 32 वर्षीय एजाज खान की हत्या, भीड़ ने टांगी, लाठी, डंडे और लात घूसों से मारकर कर दी. जिस जगह यह मॉब लिंचिंग की घटना हुई वह जगह झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर है.
मृतक युवक एजाज पर गुमला जिले के कई थानों में आपराधिक मामले दर्ज है. पुलिस का कहना कि मृतक चोरी सहित अन्य मामलों में जेल जा चुका है. उस पर गुमला जिले के जारी पालकोट और डूंगरी थाने में भी कई मामले दर्ज हैं, एजाज की हत्या का आरोप छत्तीसगढ़ के युवकों पर लगा है, हालांकि इस पूरे हत्याकांड पर पुलिस कुछ भी बोलने से बच रही है.
पहले लाठी डंडों से पीटा फिर कुल्हाड़ी से काटकर कर दी हत्या
मृतक युवक के भाई सरवर ने बताया कि एजाज छत्तीसगढ़ के पतराटोली गया था. वहां के कुछ युवकों के साथ उसका विवाद चल रहा था उन्हीं युवकों ने लाठी-डंडे और टांगी से वार कर एजाज की हत्या कर दी. एजाज की बाइक भी पतराटोली छत्तीसगढ़ में जली अवस्था में मिली है. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के आठ-दस युवकों ने पहले लाठी डंडे से मार कर एजाज को घायल कर दिया. इसके बाद टांगी से काटकर उसकी हत्या कर दी. उसके दोनों हाथ भी टूटे हुए हैं.
मृतक के परिजनों ने छत्तीसगढ़ के सतीश उरांव , लालसाय उरांव सहित अन्य लोगों को नामजद आरोपी बनाते हुए थाने में आवेदन दिया है. गुमला थाना पुलिस ने बताया कि छत्तीसगढ़ की जसपुर पुलिस से इस मामले में मदद मांगी गई है, हालांकि मॉब लिंचिंग हत्याकांड के मामले पर कुछ भी बोलने से पुलिस बच रही है.
परिजनों ने किया जमकर हंगामा
इधर मृतक युवक एजाज की हत्या की सूचना मिलते ही उसके परिजनों ने जमकर हंगामा किया और शव को उठाने से मना कर दिया. परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी और गुमला एसपी को घटनास्थल पर बुलाने की मांग कर रहे थे. देर रात तक शव घटनास्थल पर ही पड़ा हुआ था, हालांकि बाद में वरीय पुलिस पदाधिकारियों के पहुंचने और परिजनों को आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन देने के बाद परिजनों का गुस्सा शांत हुआ.
बता दें कि झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं. बावजूद इसके मॉब लिंचिंग की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है.
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