मोहन सिंह बिष्ट के लिए बीजेपी ने निकाला बीच का रास्ता
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी एक के बाद एक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करती जा रही है. इसके चलते बीजेपी में असंतोष भी उभरकर सामने आ रहे हैं. पार्टी ने इस बार करावल नगर सीट से पांच बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट का टिकट काटकर कपिल मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. करावल नगर से टिकट कट जाने के बाद मोहन बिष्ट ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया था, जिसके चलते बीजेपी को बीच का रास्ता तलाशना पड़ा. बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद सीट से टिकट देकर उनकी नाराजगी दूर करने की कवायद की है.
करवल नगर सीट से कपिल मिश्रा को प्रत्याशी बनाने के मामले को मोहन सिंह बिष्ट ने बड़ा मुद्दा बना दिया था. मोहन बिष्ट ने अपनी नाराजगी को जाहिर करते हुए कहा था कि कपिल मिश्रा को उनकी जगह पर टिकट देने का फैसला गलत है और इसके परिणाम 5 फरवरी को मतदान के बाद दिखाई देंगे. साथ ही बिष्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि आपने मोहन सिंह बिष्ट को नहीं बल्कि ‘समाज’ (उनके उत्तराखंडी समुदाय) को चुनौती दी है. इस तरह से उन्होंने अपने टिकट को उत्तराखंडियों की अस्मिता से जोड़ दिया था, जिसके चलते बीजेपी के लिए डैमेज कंट्रोल करना सियासी मजबूरी बना गया था.
BJP ने मुस्तफाबाद से मोहन बिष्ट को बनाया प्रत्याशी
बीजेपी ने करावल नगर के बजाय मुस्तफाबाद सीट से मोहन सिंह बिष्ट को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह बीजेपी ने कपिल मिश्र को भी साधे रखा और मोहन बिष्ट की नारजागी को दूर करने के साथ उत्तराखंडी वोटों को भी साधने की स्टैटेजी मानी जा रही है. मुस्तफाबाद सीट से टिकट का ऐलान होने से पहले मोहन सिंह बिष्ट ने खुला मोर्चा खोल दिया था और करवल नगर सीट से ही उतरने का ऐलान कर दिया था. इसके चलते बीजेपी को करहल नगर ही नहीं बल्कि दिल्ली की करीब 8 से 10 सीटों पर सीधे नुकसान होने का खतरा मंडराने लगा था. इसीलिए बीजेपी को बीच का रास्ता निकालना पड़ा है.
दिल्ली की आबादी में बड़ी हिस्सेदारी उत्तराखंड से आए लोगों की भी है. उत्तराखंड के करीब 35 लाख लोग दिल्ली में रहते हैं, जिनमें से लगभग 18 लाख वोटर हैं. दिल्ली में उत्तराखंडी वोटर 8 से 10 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं. करावल नगर, बुराड़ी, मुस्तफाबाद और गोकलपुरी सीट पर उत्तराखंडी वोटर हार जीत की भूमिका तय करते हैं. ऐसे में बीते कुछ चुनावों से लगभग सभी पार्टियां उत्तराखंड के लोगों पर दांव लगात रही हैं. बीजेपी से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तक उत्तराखंड के प्रवासियों को साधने के लिए कोर कसर नहीं छोड़ रही.
बिष्ट के बगावती तेवर, BJP ने निकाला बीच का रास्ता
मोहन सिंह बिष्ट के बगावती तेवर के चलते बीजेपी को उत्तराखंडी वोटों की नारजगी का खतरा साफ नजर आने लगा था. बीजेपी को दिल्ली में कम से कम 8-10 सीटें गंवानी पड़ सकती है. मोहन सिंह बिष्ट ने साफ-साफ कह दिया था कि वह 15 जनवरी को अपने पत्ते खोलेंगे, उन्होंने संकेत दिया कि वह करवाल नगर से निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के बाद नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं. बिष्ट ने शिकायत की कि जो लोग कड़ी मेहनत करते हैं, उनका भाजपा में कोई अस्तित्व नहीं है, जबकि चापलूसी करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है.
बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने मोहन सिंह बिष्ट से मुलाकात कर उनकी नाराजगी को दूर किया. मुस्तफाबाद सीट से भी चुनाव लड़ने के लिए उन्हें रजामंद कर लिया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद मोहन सिंह बिष्ट के सुर बदल गए. बीजेपी ने रविवार शाम तीसरी लिस्ट जारी किया, जिसमें केवल एक उम्मीदवार का नाम शामिल था. पार्टी ने करावल नगर से पांच बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद से टिकट दिया है. इसके बाद उन्होंने मुस्तफाबाद सीट से जीत दर्ज करेंगे. बिष्ट ने कहा कि उनका आधार मुस्तफाबाद सीट पर भी है और लगातार यहां पर सक्रिय रहते हैं.
अब तक कौन कितने सीटों पर उतारे उम्मीदवार?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीट और कांग्रेस ने 48 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन किसी भी उत्तराखंडी को टिकट नहीं दिया है. बीजेपी ने कुल 59 सीटों पर अभी तक टिकट घोषित किए हैं, जिसमें दो टिकट उत्तराखंड के रहने वालों को दिया है. बीजेपी ने पटपड़गंज सीट से मौजूदा पार्षद रवि नेगी को प्रत्याशी बनाया है और मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट का करावल नगर के बजाय मुस्तफाबाद से टिकट दिया है.
दिल्ली में राजनीतिक रूप से हाशिए पर मान रहे दिल्ली के उत्तराखंडी संगठनों ने महापंचायत किया था. 18 लाख से ज्यादा वोटर होने का दावा करने वाले पहाड़ी संगठन अपनी सियासी भागीदारी दिल्ली में बढ़ाने की कवायद में है. नई दिल्ली, आरके पुरम, दिल्ली कैंट, बुराड़ी, करावल नगर, पटपड़गंज, बदरपुर, पालम और द्वारका कुछ ऐसी सीटें हैं, जहां पहाड़ का वोटर सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट के बगावती तेवर को देखते हुए मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार बनाकर
संभावित नुकसान से बचने की कोशिश की है.
दिल्ली में अब तक सिर्फ 2 विधायक
दिल्ली विधानसभा में अब तक सिर्फ दो उत्तराखंडी ही पहुंच सके हैं, जो बीजेपी के टिकट पर जीते. मंडावली से 1993 में पहली बार मुरारी सिंह पंवार विधानसभा पहुंचे थे, जिन्हें 1998 में हार का मुंह देखना पड़ा था. पंवार 2008 में लक्ष्मी नगर से लड़े और हार गए थे. इसके अलावा करावल नगर सीट से मोहन सिंह बिष्ट 1998 से पांचवीं बार विधायक हैं, जिन्हें सिर्फ 2015 में हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने वीरेंद्र जुयाल को 2003 में मंडावली से लड़ाया था. इसके अलावा कांग्रेस ने 1993 में मंडावली से आशुतोष उप्रेती, 1998 में यमुना विहार से पुष्कर रावत, 2003 में यमुना विहार और 2008 में करावल नगर से दीवान सिंह नयाल, 2015 में आरके पुरम से लीलाधर भट्ट और 2020 में पटपड़गंज से लक्ष्मण रावत को टिकट दिया था. आम आदमी पार्टी ने 2013 में हरीश अवस्थी को रिठाला से उतारा था, ये सभी हार गए थे. इस बार दो ही उत्तराखंडी प्रत्याशी है.
– India Samachar
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