अरविंद केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव जनवरी-फरवरी में होना है, लेकिन अरविंद केजरीवाल अभी से सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं. बीजेपी और कांग्रेस से पहले दिल्ली के सियासत में केजरीवाल अपने सभी सिपहसलारों को उतार दिया. इतना ही नहीं अपने बिखरे हुए सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के कवायद में जुटे हैं ताकि लगातार चौथी बार दिल्ली की सियासी जंग जीतकर कर सत्ता अपने नाम कर सके. ऐसे में देखना है कि अरविंद केजरीवाल क्या अपने सियासी मंसूबे में कामयाब होंगे?
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता हैट्रिक लगा चुके हैं, लेकिन 2025 का दिल्ली चुनाव उनके सियासी इतिहास का सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. यही वजह है कि केजरीवाल कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कई ऐसे सियासी दांव चले हैं, जिसे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. फिर चाहे टिकट की घोषणा हो या फिर अलग-अलग वोटबैंक को साधने की स्टैटेजी.
केजरीवाल ने उतारे सभी सीटों पर कैंडिडेट
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. आम आदमी पार्टी ने इस बार अपने मौजूदा 20 विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव लगाया है. इसके अलावा मनीष सिसोदिया और राखी बिड़ला जैसे विधायक की सीट बदल दी है तो तीन ऐसी सीटें भी हैं, जहां विधायकों के बेटों और पत्नी को टिकट दिया है. इस तरह नए चेहरों को जिन्हें प्रत्याशी बनाया गया है, उन्हें अपने क्षेत्रों में तैयारी के लिए पर्याप्त मौका मिल सकेगा.
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केजरीवाल ने चुनाव ऐलान से पहले ऐसे ही उम्मीदवारों के नाम नहीं घोषित किए बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत दांव चला है.आम आदमी पार्टी ने चुनाव की घोषणा से करीब दो महीने अपने पहले उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया हैं. सियासी जानकार कहते हैं कि ये केजरीवाल का माइंड गेम है. पार्टी ने अपने जिन मौजूदा विधायकों के टिकट कटे हैं, जिसके चलते उनके बगावत का खतरा भी बन गया है. ऐसे में नेताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए समय रहते कदम उठा सके. इसके अलावा केजरीवाल ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली में उनके पास बीजेपी और कांग्रेस से बेहतर तैयारी है. ये भी मैसेज देना चाहती है कि चुनाव रणनीति में वो विरोधियों से काफी आगे है.
ऑटों चालकों पर फिर खेला बड़ा दांव
अरविंद केजरीवाल की सियासत में ऑटो चालकों की अहम भूमिका रही है. 2013 चुनाव में केजरीवाल के पक्ष में माहौल बनाने में ऑटो चालकों ने ही रोल प्ले किया था. 11 साल के बाद आम आदमी पार्टी फिर से दिल्ली ऑटो वालों को साधने में जुटे हैं, जिसके लिए केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता के साथ एक ऑटो चालक के घर जाकर भोजन कर सियासी संदेश देने के साथ-साथ दिल्ली के ऑटों वालों को साधने का दांव चला. ऐसे में उन्होंने दिल्ली के ऑटो चालकों के लिए 10 लाख रुपए के बीमा, पांच लाख का एक्सीटेंड बीमा, ड्राइवर की वर्दी के लिए साल में पांच हजार रुपये, बेटी की शादी में 1 लाख की सहायता और सभी ऑटो ड्राइवर्स के बच्चों के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग का खर्च सरकार उठाएगी. इस तरह दिल्ली के ऑटो ड्राइवरों को साधने की कवायद की है.
महिला वोटों को साधने की रणनीति
आधी आबादी सियासत में सत्ता का समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. इस बात को केजरीवाल बाखूबी समझते हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार चुनाव में महिला वोटर ही जीत का रोल अदा की है. केजरीवाल ने लाडली बहना की तर्ज पर आधा आबादी को वित्तीय मदद पहुंचाने वाली योजना का ऐलान किया था. केजरीवाल ने वादा किया है कि चुनाव जीतने पर दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए हर महीने दिए जाएंगे. इसके अलावा दिल्ली में महिला सुरक्षा के लिए केजरीवाल ने महिला अदालत का कार्यक्रम भी रखा था. इस तरह महिलाओं को साधने के लिए हर एक सियासी दांव चल रहे हैं, क्योंकि पिछले चुनाव में केजरीवाल की जीत में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा का दांव काफी कारगर रहा है.
संजीवनी योजना से चुनावी संजीवनी
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों को साधने के लिए संजीवनी स्कीम का ऐलान किया है. इसके तहत 60 साल से ऊपर के सभी बुजुर्गों का पूरा इलाज दिल्ली सरकार फ्री में कराएगी. फिर चाहे कितनी ही इनकम हो. अमीर गरीब सबका इलाज मुफ्त कराया जाएगा, चाहे वो सरकारी में या प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराएं. ये योजना केंद्र की मोदी सरकार की आयुष्मान भारत से बिल्कुल अलग है. दिल्ली में AAP सरकार है और रोचक यह है कि यहां केंद्र की आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं है. बीजेपी आरोप लगाती है कि केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में आयुष्मान भारत हेल्थ स्कीम को लागू नहीं होने दे रही है. ऐसे में केजरीवाल ने अब बीजेपी के दावों को काउंटर करने के लिए ‘संजीवनी योजना’ लेकर आई है. इस योजना को बड़ा गेमचेंजर भी माना जा रहा है.
सड़क पर एक्टिव अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. आंबेडकर पर अमित शाह के द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर केजरीवाल सड़क पर संघर्ष करने से लेकर वाल्मिकी मंदिर जाकर माथा टेकने तक की कवायद कर रहे हैं. अमित शाह के बयान को लेकर उन्होंने बीजेपी के साथी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार तक खत लिख दिया है. इस बहाने केजरीवाल दिल्ली के दलित वोटबैंक को साधने की कवायद में है, क्योंकि दिल्ली में करीब 17 फीसदी दलित समुदाय के वोटर है.
केजरीवाल की राजनीति में दलित वोटों की अहम भूमिका रही है, लेकिन हाल के दिनों में दलित वोट छिटकता नजर आया है. इसके पीछे वजह रही कि सीमापुरी से विधायक रहे है राजेंद्र पाल गौतम ने बौद्ध धर्म की प्रतिज्ञा लेने पर उन्हें मंत्री पद और पार्टी छोड़नी पड़ गई थी. ऐसे में अब केजरीवाल महिला वोटों को साधने की स्टैटेजी मानी जा रही है. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल दिल्ली में पदयात्रा कर सियासी मिजाज समझने की कवायद भी कर रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले दिल्ली की सड़कों की बदहाली को स्वीकार किया और बीजेपी पर काम में व्यवधान डालने का आरोप लगाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की. केजरीवाल ने सीएम आतिशी को पत्र लिखा और दिल्ली की सड़कों की मरम्मत किए जाने की मांग की. दिवाली से पहले सड़कें दुरुस्त करने का टारगेट रखा. इसी दौरान दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुद्दा गहरा गया. केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार ने दोनों चुनौतियों पर एक साथ काम किया और तय डेडलाइन तक सड़कें ठीक कीं और फिर वायु प्रदूषण के लिए कदम उठाए. इस तरह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल दिल्ली चुनाव ऐलान से पहले सत्ता विरोधी लहर को काउंटर करने के साथ-साथ दिल्ली की जंग जीतने के लिए भी तानाबाना बुन रहे हैं.
– India Samachar
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