पाकिस्तानी शायर जौन एलिया (फाइल फोटो).
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में पैदा हुए पाकिस्तान के मशहूर शायर जौन एलिया का 14 दिसंबर को जन्मदिन मनाया जाता है. वो बार-बार कहते रहे कि वो हिन्दुस्तानी शायर हैं, वो हिन्दुस्तान से हैं और भले ही वो पाकिस्तान में रह रहे हों लेकिन उनका दिल अमरोहा में ही बसता है. उनकी शायरी में ये बात बार-बार सामने आती है, बहुत से उनके शेर सिर्फ अमरोहा और हिन्दुस्तान की कहानी भी बयां करते हैं.
बता दें कि जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था. जौन, मशहूर निर्देशक कमाल अमरोही के छोटे चचेरे भाई थे. कुल पांच भाईयों में जौन सबसे छोटे थे. उनके और भाई भी लेखक-शायर ही थे. पैदाइश के कुछ समय बाद जब बात देश के बंटवारे तक पहुंचने लगी तो जौन के परिवार ने भारत छोड़ दिया और कराची में जा बसे, ना चाहते हुए जौन भी गए.
आज के वक्त में भी जौन एलिया को सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर काफी सुना और पढ़ा जाता है. उनके ना जाने कितने फैन क्लब हैं, कई शेर ऐसे भी हैं जो उनके नहीं हैं लेकिन उनके नाम से सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं. अब जब जौन एलिया का जन्मदिन आ रहा है, तो आपको जौन एलिया के कुछ ऐसे शेर से मिलवाते हैं जो अक्सर सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं और तूफान सा ले आते हैं.
- 1- मैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं - 2- कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूं मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे - 3- यूं जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या - 4- यारो कुछ तो जिक्र करो तुम उस की कयामत बांहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे - 5- वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे - 6- बे-दिली क्या यूंही दिन गुजर जाएंगे
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे - 7- मैं हवाओं से कैसे पेश आऊं
यही मौसम है क्या वहां जानां - 8- है बिखरने को ये महफिल-ए-रंग-ओ-बू
तुम कहां जाओगे हम कहां जाएंगे
हर तरफ हो रही है यही गुफ़्तुगू
तुम कहां जाओगे हम कहां जाएंगे - 9- तू भी चुप है मैं भी चुप हूं ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तिरी याद आई क्या तू सच-मुच आई है - 10- एक ही हादसा तो है जिन्दगी में और वो यह कि
आज तक बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
– India Samachar
.
.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link