कौन हो सकता है महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री?
महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे से चुनावी बाजी जीतने में भले ही एकनाथ शिंदे कामयाब रहे हों, लेकिन सत्ता के सिंहासन पर दूसरी बार विराजमान होना आसान नहीं है. बीजेपी को मिली शानदार जीत से राजनीतिक दृष्टिकोण पूरी तरह से बदल गया है. महाराष्ट्र में ढाई साल तक सत्ता की कमान शिंदे के हाथों में सौंपने वाली बीजेपी अब अपना मुख्यमंत्री बनाने की कवायद में है और अजीत पवार के द्वारा देवेंद्र फडणवीस के नाम पर रजामंदी जताए जाने से एकनाथ शिंदे कश्मकश में फंस गए हैं.
विधानसभा चुनाव नतीजे आने के चार दिन बाद भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की नाम की फाइनल घोषणा नहीं की है. महायुति को मामूली बहुमत मिलने पर ही एकनाथ शिंदे की सीएम सीट पक्की थी, लेकिन बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन से नजरिया बदल गया है. बीजेपी अपना सीएम बनाने की कवायद में है और सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व ने एकनाथ शिंदे को बता भी दिया है कि देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने बनाने जा रही है. इसके साथ ही शिंदे को बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री पद या महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी के ऑफर को शिंदे क्या एक्सेप्ट करेंगे?
सीएम पद के नाम पर अभी भी नाम पर मुहर नहीं
महाराष्ट्र में जबरदस्त जनादेश मिलने के बाद भी कश्मकश की स्थिति महायुति में बनी हुई है. अजीत पवार की पार्टी एनसीपी के द्वारा देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाए जाने का समर्थन पत्र देने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति बदल गई है. इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि मुझे लगता है कि एकनाथ शिंदे को दो कदम पीछे जाना चाहिए, जैसे 2022 में देवेंद्र फडणवीस चार कदम पीछे गए थे और उन्होंने उनके नेतृत्व में डिप्टी सीएम बनना स्वीकार किया था. ऐसे ही शिंदे को डिप्टी सीएम बनना चाहिए नहीं तो उन्हें केंद्र में आकर मंत्री बनना चाहिए.
रामदास अठावले ने साफ-साफ शब्दों में एकनाथ शिंदे को सियासी संदेश दे दिया है. अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के नाम को आगे बढ़ाकर अपना सियासी दांव चल दिया है. ऐसे में एकनाथ शिंदे भले ही उद्धव ठाकरे से शिवसेना के असली-नकली की लड़ाई में जीत गए हों, 38 विधायक से बढ़कर अब उनके पास 56 विधायक हो गए हों, लेकिन सत्ता के सियासी चक्रव्यूह में उलझ गए हैं. अठावले ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि बीजेपी के ऑफर के बाद शिंदे नाराज है और सीएम पद न मिलने से नाखुश हैं.
क्या देवेंद्र फडणवीस को बनाएंगे मुख्यमंत्री?
बीजेपी सीएम पद को लेकर फैसला कर चुकी है और अगर देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र सत्ता की कमान मिलती हैं तो फिर एकनाथ शिंदे की क्या भूमिका होगी? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शिंदे डिप्टी सीएम पद का प्रस्ताव स्वीकार करेंगे, केंद्र में मंत्री बनेंगे या कोई दूसरा फैसला लेंगे. हालांकि, शिंदे गुट में एक बड़ा वर्ग है जो इस बात के पक्ष में है कि बीजेपी बड़ी पार्टी है और पिछली बार भी बड़े भाई की भूमिका में होने के बावजूद छोटे भाई के रोल में रही थी. इस बार तो वो पूरी तरह से सत्ता के करीब है. इसको देखते हुए साथ चलना ही बेहतर है.
एकनाथ शिंदे साल 2022 में शिवसेना के 38 विधायकों को अपने साथ लेकर आए थे तो बीजेपी ने उस समय में उद्धव ठाकरे के साथ 2019 का सियासी हिसाब बराबर करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी. शिंदे 28 जून 2022 से लेकर 26 नवंबर 2024 तक मुख्यमंत्री रहे. अब महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद सियासी स्थिति बदल गई है. बीजेपी सबसे ज्यादा सीटें जीतकर आई है और 132 सीटें मिली हैं तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 सीटें मिली हैं और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं. इसके चलते ही बीजेपी शिंदे की जगह अपना सीएम बनाना चाहती है, जिसके लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा है.
कौन-कौन बन सकता है डिप्टी सीएम?
महाराष्ट्र में बीजेपी ने एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला बनाया है. बीजेपी अगर अपना सीएम बनाती है तो फिर डिप्टी सीएम का पद शिंदे और अजीत पवार की पार्टी को ऑफर कर सकती है. एनसीपी से अजीत पवार का डिप्टी सीएम बनना तय है, लेकिन सवाल शिवसेना का है. शिवसेना में एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम का पद को स्वीकार करेंगे या फिर अपनी पार्टी के किसी दूसरे नेता को बनाएंगे. माना जा रहा है कि शिंदे अगर सीएम नहीं बनेंगे तो फिर डिप्टी सीएम का पद भी स्वीकार नहीं करेंगे.
मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी कहते हैं कि बीजेपी ने अपना सीएम बनाने का मन पूरी तरह बना लिया है, लेकिन एकनाथ शिंदे का साथ भी नहीं छोड़ना चाहती है. बीजेपी की तरफ से दिए जाने वाले ऑफर को लेकर जरूर शिंदे कश्मकश में है, क्योंकि फडणवीस की तरह डिप्टीसीएम नहीं बनना चाहते हैं और न ही केंद्र में मंत्री बनने को बहुत इच्छुक होंगे. उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिंदे डिप्टी सीएम बनने या फिर केंद्र में मंत्री बनने के लिए नहीं आए हैं बल्कि, मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहते हैं. शिंदे के शिवसैनिक भी चाहते हैं कि सीएम की कुर्सी मिले, लेकिन नतीजे और अजित पवार के दांव ने उन्हें चिंता में डाल दिया है. शिंदे जानते हैं कि केंद्र की राजनीति में जाते हैं तो फिर महाराष्ट्र की सियासत से पूरी तरह आउट हो जाएंगे. इसके अलावा मोदी कैबिनेट में रहकर कितना काम करेंगे?
अपना सीएम बनाना चाहती है बीजेपी
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार नितिन भांगे कहते हैं कि चुनावी नतीजों ने शिंदे की टेंशन बढ़ा दी है. एकनाथ शिंदे आसानी से बीजेपी की शर्तों को मानने वाले नेता नहीं हैं. मुख्यमंत्री पद का अगर का त्याग करते हैं तो बीजेपी के साथ वो हार्ड बार्गेनिंग करेंगे. महाराष्ट्र के साथ केंद्र में भी मंत्री अतिरिक्त मंत्री पद मांगेगे और बीजेपी को अपना सीएम बनाने के लिए देना होगा. शिंदे डिप्टी सीएम की कुर्सी पर तभी बैठेंगे, जब हाई प्रोफाइल मंत्रालय मिलेंगे. इसके अलावा महायुति का एजेंडा तय करने के लिए तीनों दलों की बनाए जाने वाली कमेटी के मुखिया एकनाथ शिंदे बनाएंगे जाएंगे, तभी वो इस पर राजी होंगे. शिंदे के सामने भी शिवसेना के नेताओं को साधे रखने की चुनौती है, अगर उनका कद सरकार में घटता है तो उद्धव ठाकरे को उभरने का मौका मिल जाएगा.
सवाल यह भी है कि अगर शिंदे डिप्टी सीएम के बजाय केंद्र में जाते हैं तो फिर उपमुख्यमंत्री कौन होगा? शिंदे क्या अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टीसीएम बनाएंगे, लेकिन ऐसा करने पर उनपर परिवारवाद का आरोप लग सकता है. इतना ही नहीं परिवारवाद से बचने के लिए पार्टी के किसी दूसरे विधायक का नाम आगे करते हैं तो फिर उनकी राजनीति सियासी परवान नहीं चढ़ पाएगी. इस तरह शिंदे के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं, जो चुनाव नतीजे से ही उभरे हैं.
भारी बहुमत मिला फिर भी नहीं चुन पा रहे हैं मुख्यमंत्री
उद्धव ठाकरे की शिवेसना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सरकार गठन में हो रही देरी पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि महायुति को भारी बहुमत मिला है फिर भी मुख्यमंत्री नहीं चुन पा रहे हैं, इसका क्या मतलब होता है. हमें बोला गया था की 26 तक सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा अब क्यों नहीं लगाया जा रहा है? साथ ही संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे कुछ भी बन सकते हैं मैं उनको जानता हूं, वो सत्ता के बिना नहीं रह सकते हैं. वो डरपोक है और वो डरा हुआ नेता है, हमारी पार्टी इसलिए छोड़ी की वो ईडी और सीबीआई से डरे हुए हैं. ऐसे में कोई पद स्वीकार कर लेंगे.
– India Samachar
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