
अमित शाह, अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह
राहुल गांधी के रायबरेली सीट से उतरने से बाद मुकाबला काफी रोचक हो गया है. बीजेपी अमेठी के बाद अब गांधी परिवार के मजबूत दुर्ग मानी जाने वाली रायबरेली में जीत का परचम फहराने की कोशिश में है, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह के लिए अपने ही पार्टी की तिकड़ी टेंशन बनी हुई है. बीजेपी की सदर विधायक अदिति सिंह से लेकर सरेनी के पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह और पूर्व एमएलसी राजा राकेश सिंह ने खामोशी ही नहीं बल्कि चुनाव से दूरी बनाए रखा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रायबरेली में रैली करके बिखरे बीजेपी के कुनबे को एक मंच पर लाने में सफल रहे, लेकिन चुनावी पिच पर भी उन्हें एक्टिव कर पाना आसान नहीं है. ऐसे में बीजेपी की तिकड़ी सियासी हलके और दिनेश सिंह के लिए बेचैनी का सबब बन गया है?
रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा सीटें आती है, जिसमें अदिति सिंह एकलौती बीजेपी की विधायक हैं. इसके अलावा 4 सीट पर सपा के विधायक हैं. बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को दूसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन विधायक अदिति सिंह के साथ उनकी चला आ रही सियासी अदावत ने रायबरेली के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. सदर क्षेत्र में अदिति सिंह की अपनी सियासी पकड़ है तो पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह की सरेनी में और पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह का शिवगढ़ इलाके में ठीक-ठाक सियासी आधार है. रायबरेली में बीजेपी के इन तीनों नेताओं की तिकड़ी को दिनेश प्रताप सिंह के विरोधी के तौर पर जाना है.
आदिति-दिनेश में सियासी वर्चस्व की जंग
दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी से टिकट मिलने के बाद से अदिति, राजा राकेश और धीरेंद्र सिंह साइलेंट मोड में चले गए थे. बीजेपी की यह तिकड़ी न ही दिनेश के नामांकन में नजर आई और न ही चुनाव प्रचार में कहीं दिखी. इसी बीच अदिति सिंह ने सोशल मीडिया में अपने पिता अखिलेश सिंह के साथ फोटो शेयर कर कहा कि वसूलों के साथ समझौता नहीं. अदिति के इस बयान को दिनेश सिंह के साथ चली आ रही सियासी वर्चस्व की जंग से जोड़कर देखा जा रहा है.
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रविवार को रायबरेली रैली में अदिति सिंह ने अपनी मां वैशाली सिंह के साथ शिरकत की थी. इसके अलावा राजा राकेश सिंह से लेकर धीरेंद्र सिंह भी मंच पर साथ नजर आए थे. वैशाली सिंह अमांवा की ब्लॉक प्रमुख है. शाह की जनसभा स्थल पर जब मां-बेटी पहुंची तो वहां पर बैठे पदाधिकारी उस गर्मजोशी से उन्हें नहीं मिले. रायबरेली की जिला प्रभारी योगी सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला और बीजेपी जिलाध्यक्ष सहित बड़े नेता मंच पर दिखे, लेकिन विधायक अदिति सिंह से कुछ भी बात करने की जरूरत नहीं समझी. अदिति सिंह ने जनसभा को न ही संबोधित किया और न ही इसके लिए उनसे कहा गया. पूर्व एमएलसी राजा राकेश सिंह को भी सियासी अहमित नहीं मिली.
शाह ने अदिति को भाषण में दिया तवज्जो
हालांकि, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंच में पहुंचे तो उन्होंने अदिति सिंह का नाम जरूर पहले लेकर साफ संदेश देने की कोशिश की. इससे यह साफ रहा कि भाजपा हाईकमान की निगाह में अदिति सिंह का सियासी कद बना हुआ है. बीजेपी के रणनीतिकार रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र में हर हाल में बड़ी लीड लेना चाहते हैं. यह तभी होता है जब सदर विधायक अदिति सिंह मैदान में और पूरी ईमानदारी के साथ दिनेश सिंह के लिए प्रचार करेंगे. इसके अलावा सरेनी विधानसभा सीट बीजेपी की मजबूत सीटों में रही है, जो रायबरेली में संघ की प्रयोगशाला माना जाती है. यहां से पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह भी चुप हैं और शिवगढ़ क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ रखने वाले राजा राकेश सिंह भी साइलेंट मोड में है.
बात करने में आ रही है बाधा
माना जा रहा है कि बीजेपी रणनीतिकार अदिति सिंह से लेकर धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह के साथ सलाह-मशविरा करना चाहते हैं, लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं, जिनसे रणनीतिकार भी अपने अपने पैर पीछे हटाने को मजबूर होते हैं. अमित शाह ने अदिति को तवज्जे अपने भाषण में दिया, लेकिन धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह को सियासी अहमियत बहुत ज्यादा नहीं मिली है. वहीं, अमित शाह ने दिनेश सिंह के साथ सपा के बागी विधायक मनोज पांडेय के घर जाकर जरूर मुलाकात ही नहीं की बल्कि दोपहर का भोजन भी किया.
मनोज पांडेय के घर पर दस्तक देकर अमित शाह ने रायबरेली के सियासी समीकरण को साधने की कवायद की है, क्योंकि ऊंचाहार क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं के बीच मनोज पांडेय की मजबूत पकड़ माना जाती है. मनोज पांडेय और दिनेश प्रताप सिंह के साथ भी बहुत अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं, लेकिन उनके बीच गिले-शिकवे मिटाने की पहल पहले बृजेश पाठक ने की और अब अमित शाह की कोशिश में उसेसे जोड़कर देखा जा रहा है. मनोज पांडेय तकनीकी रूप से अभी भी सपा के विधायक है, लेकिन वो खुलकर समर्थन करने के बजाय अंदुरुनी मदद कर सकते हैं.
दूरियां नहीं मिटी तो इतिहास रचना मुश्किल
दिनेश प्रताप सिंह के लिए मनोज पांडेय भले ही सियासी मुफीद माने जा रहे हैं, लेकिन रायबरेली में बीजेपी की तिकड़ी सबसे अहम फैक्टर है. अदिति सिंह, धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह अगर खामोशी अख्तियार किए रहें और दिनेश सिंह के प्रचार से दूरी बनाए रखी तो बीजेपी के लिए रायबरली सीट पर अमेठी जैसा इतिहास रचना आसान नहीं होगा. राहुल गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बाद सियासी माहौल रायबरेली का बदल गया है. राजनीतिक और जातीय बंधन सारे टूटते हुए नजर आ रहे हैं, जिसने दिनेश प्रताप सिंह की राह में सियासी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं.
रायबरेली में बीजेपी के लिए अपनी ही नेता अदिति से लेकर धीरेंद्र और राजा राकेश सियासी चिंता बढ़ी है. अमित शाह ने अपनी जनसभा के जरिए बीजेपी की तिकड़ी को एक मंच पर लाकर दिनेश प्रताप सिंह के करीब लाए, लेकिन दिल की दूरियां अभी तक नहीं मिटा पाई हैं. अब देखना है कि बीजेपी कैसे अपने नेताओं की दूरियों को मिटाने में कामयाब रहती है, क्योंकि उसके बिना रायबरेली की राह आसान नहीं है.
– India Samachar
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