राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ताबड़तोड़ छापों के बाद आखिरकार बेकाबू पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई को काबू कर ही लिया है. उस हद तक काबू कर लिया कि, जिस बेबसी को देखकर अब पीएफआई के कर्ताधर्ताओं के हलक सूख चुके हैं. एक साथ 15 राज्यों में पीएफआई के ठिकानों और उसके सरगनाओं के खिलाफ एक्शन लेने वाली दोनों ही एजेंसियों (एनआईए और ईडी) ने दिल्ली में हाथ नहीं डाला था. दिल्ली पर उस दौरान ईडी और एनआईए की नजर क्यों नहीं गई? यह सवाल देश में हर किसी के जेहन में कौंध रहा था. दिल्ली में मौजूद पीएफआई के तीन ठिकानों को सील करके गुरुवार यानी 29 सितंबर को, एनआईए ने इस सवाल का भी जवाब जनमानस के बीच जारी कर दिया.
मतलब, देश भर में पीएफआई के ठिकानों को बर्बाद करने के बाद अब एजेंसियों की नजर दिल्ली की तरफ टेढ़ी हुई है. खबरें आ रही हैं कि एनआईए और ईडी का अगला निशाना सीएए विरोधी “शाहीन बाग आंदोलन” और, उस आंदोलन के “नेता” हैं. क्योंकि अब तक देशभर में हुई पीएफआई विरोधी कार्यवाही में यह तो तय हो चुका है कि, हिंदुस्तानी हुकूमत को दीमक की मानिंद चुंग रहे हैं. पीएफआई का मुख्यालय देश की राजधानी दिल्ली में ही मौजूद था. वो भी उसी ओखला-शाहीन बाग इलाके में जहां, साल 2019 के अंत और 2020 के शुरुआती महीनों में सीएए के विरोध में शाहीन बाग में सबसे बड़ा धरना-प्रदर्शन चला था. वो धरना प्रदर्शन जिसके चलते महीनों यूपी-दिल्ली को जोड़ने वाला मार्ग तक दिल्ली पुलिस को बंद करना पड़ गया था.
PFI की तफ्तीश क्या शाहीन बाग जांच की दिशा में मुड़ेगी?
एनआईए के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो, गुरुवार यानी 29 सितंबर को दिल्ली में पीएफआई के तीनों बंद किए गए ठिकाने हमारी नजर में काफी पहले से थे. इन ठिकानों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हमारे पास थे. गुरुवार को तो कानूनी रूप से इन्हें बस सील करने भर का एक्शन अमल में लाया गया. दिल्ली में जिस जगह पर पीएफआई का मुख्यालय मिला है, वहीं उसी के करीब, सीएए विरोधी आंदोलन को आग में झोंकने वाला शाहीन बाग का धरना प्रदर्शन भी सबसे लंबे समय तक उस आंदोलन के दौरान चला. क्या पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद आगे की तफ्तीश में अब शाहीन बाग आंदोलन की तरफ भी जांच की दिशा मुड़ सकती है? पूछने पर ईडी के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर टीवी9 भारतवर्ष को बताया कि अभी इस पर कुछ कहना मुश्किल है. दो एजेंसियां (ईडी और एनआईए) मिलकर ज्वाइंट इंवेस्टीगेशन कर रही है.”
उधर, ईडी के इस अधिकारी की बात को आगे बढ़ाते हुए एनआईए के उस पदस्थ सूत्र कहते हैं कि अभी तो जांच शुरू हुई है. हर पहलू पर हर नजर से देखा जा रहा है. यहां तो इनका (दिल्ली में पीएफआई का हेडक्वार्टर) सब कुछ चल रहा था. ऐसे में शाहीन बाग आंदोलन ही क्यों? सीएए विरोधी आंदोलन को हवा देने में सबसे आगे रहने वाले लोगों से भी पूछताछ करना जरूरी हो सकता है. मगर, अभी क्या हो रहा है या जल्दी ही क्या करना है? इस सब पर बात करना मैं जरूरी नहीं समझता हूं. क्योंकि इंवेस्टीगेशन जारी है.” शाहीन बाग आंदोलन उसी इलाके में सीएए विरोध को लेकर चला, जहां अब पीएफआई मुख्यालय सहित उसके तीन ठिकानों को एनआईए ने 29 सितंबर 2022 को सील किया है. ऐसे में क्या शाहीन बाग आंदोलन और उसको हवा देने वाले भी जांच के दायरे में आएंगे? पूछे जाने पर एनआईए के ही अपुष्ट सूत्र कहते हैं, “हां क्यों नहीं आना चाहिए जांच की हद में? जांच तो जांच है.”
खुल सकते हैं सांप्रदायिक दंगों के जांच के पन्ने
यहां बताना जरूरी है कि अगर एनआईए शाहीन बाग आंदोलन को भी पीएफआई के खिलाफ उठाए गए कदम की हद में समेटकर आगे बढ़ना शुरू करेगी, तो फिर उसकी कार्रवाई की जद में कई वे नेता भी आ सकते हैं जो, शाहीन बाग आंदोलन में सबसे आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे. इनमें दिल्ली का एक दबंग नेता तो हाल ही में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर छूटकर बाहर आया है. इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की जा रही है. उधर, अगर एनआईए और ईडी ने अपनी इस जांच का दायरा बढ़ाया तो, एनआईए के ही विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, आगे की जांच में दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के पन्ने पलटने से भी काफी कुछ शायद कड़ियां जुड़ सकें! वे कड़ियां जो पीएफआई पर आइंदा कड़े एक्शन लेने के लिए मददगार साबित हों.
इस बारे में टीवी9 भारतवर्ष ने जब एनआईए के उच्च पदस्थ सूत्रों से पुष्टि करनी चाहिए कि क्या, दिल्ली दंगों के कुछ दिन बाद ही गिरफ्तार करके जेल भेजा गया और अभी तक दिल्ली की जेल में ही बंद एक पूर्व निगम पार्षद को भी, आपकी जांच के दायरे में लिया जा सकता है? तो पता चला कि, “अभी जांच उस दिशा में नहीं बढ़ी है. अभी तो दिल्ली में ही पीएफआई के और मददगारों, फाइनेंसर्स की तलाश पहले जरूरी है. क्योंकि अब तक जो एक्शन बीते एक सप्ताह के दौरान हुआ है. उनमें पीएफआई के फाइनेंसर की बड़ी और विशेष भूमिका इस संगठन को आगे बढ़ाने में आ रही है. दिल्ली में सीएए विरोधी सांप्रदायिक दंगों या फिर किसी नेता या फिर जेल में पहले से ही बंद किसी निगम पार्षद से आगे भी अगर जरूरत पड़ी तो, जांच को बढ़ा लिया जाएगा. अभी फिलहाल इन सब मुद्दों पर कुछ ठोस कह पाना मुश्किल है. हम जो मददगार (पीएफआई के मददगार) अभी भी छिपे हुए हैं. उन्हें तलाशने में जुटे हैं. जो जेल में बंद है. या फिर शाहीन बाग जैसे बड़े आंदोलनों से कुछ लोग जुड़े रहे थे. उनकी कड़ियां तो बाद में भी जोड़ी जा सकती है.”
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